राजस्थान अस्थायी कर्मचारी संघ हल्ला बोल द्वारा कई दशकों से ठेका प्रथा व्यस्था से अस्थाई कार्मिकों के आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रुप से हो रहे शोषण से मुक्ति दिलवाकर प्लेसमेंट एजेंसी एवं अन्य मध्यम से समस्त राजकीय विभागों में कार्यरत अस्थाई कार्मिकों को पदों के अनुरूप न्यूनतम मानदेय निर्धारण करते हुए समान काम, समान वेतन/मानेदय दिए जाने, प्रचलित ठेका प्रथा को बंद करवाकर वर्तमान कार्यरत पदों पर राजस्थान संविदा सेवा अधिनियम 2022 के अधीन लिया जाकर एडॉप्ट की कार्यवाही कर समायोजन करने, प्रति वर्ष 20 प्रतिशत मानदेय अभिवृद्धि करने, भविष्य में होने वाली विभिन्न भर्तियों में अस्थाई कमिकों को प्राथमिकता देते हुए नियमितिकरण करने, कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालयों, नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालयों, विशेष शिक्षकों एवं अन्य ऐसे कार्मिकों जिन्हें ग्रीष्मावकाश की अवधि के दौरान सेवा से पृथक कर उक्त अवधि का मानदेय काटा जा रहा है, को नियमित मानते हुए मानदेय/वेतन के साथ समस्त परिलाभ दिये जाने के सम्बन्ध में पिछले कई वर्षों से महामहिम राज्यपाल, लोकायुक्त राजस्थान, मानवाधिकार आयोग राजस्थान, मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, संविदा कार्मिकों के लिए गठित निराकरण समिति, प्रमुख शासन सचिव, मुख्यमंत्री/कार्मिक/वित्त/शिक्षा/चिकित्सा विभाग के साथ–साथ अन्य समस्त विभागों के शासन सचिवों को व्यक्तिगत उपस्थित होकर, रजिस्टर्ड डाक के जरिए, ईमेल के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से वर्तमान गहलोत सरकार के ध्यान में लाकर इस गंभीर समस्याओं के निराकरण की मांग की जा रही है! लेकिन राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दिया जा रहा है और न ही समस्याओं के निराकरण हेतु कोई ध्यान दिया जा रहा है, जिसके चलते समस्त अस्थाई कार्मिकों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है।
उक्त सम्बन्ध में हम लाखों कार्मिक पिछले कई वर्षों इसी विश्वास में जी रहे है कि कभी तो राज्य सरकार हम अस्थाई कार्मिकों की पीड़ा को समझते हुए संविदा पर लेकर एक सम्मानजन मानदेय का निर्धारण करके हमें आर्थिक एवं मानसिक सम्बलन प्रदान कर ठेका प्रथा से हो रहे शोषण से मुक्ति दिलायेगी। इसी के तहत हम समस्त अस्थाई कार्मिकों द्वारा राज्य सरकार को समय-समय पर नियमित रूप से मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली जनसुनवाई, संविदा कमेटी के मंत्रीगणों के विभिन्न जिलों के दौरों के दौरान एवं जिला स्तर पर होने जनसुनवाई में भी विभिन्न ज्ञापनों के माध्यम से ठेका प्रथा (कुप्रथा) से प्लेसमेंट एजेंसी अस्थाई कार्मिकों के आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से हो रहे शोषण से मुक्ति दिलवाने ही निवेदन किया जा चुका है लेकिन सरकार या सरकार के नुमाइंदों द्वारा आज दिनांक तक हमें कोई राहत प्रदान नहीं को गई है।
राजस्थान अस्थाई कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष कृपा राम ने बताया कि लोकतंत्र के इस विश्वसनीय और महत्वपूर्ण चौथे स्तंभ में आमजन के हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज उठाकर उन्हें न्याय दिलवाने की निहित क्षमता प्रेस और समाचार मीडिया में ही है। इसलिए सभी से अनुरोध है कि हमारी मदद करें।