प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 21 दिसंबर को प्रयागराज का दौरा करेंगे और लगभग एक बजे दोपहर को एक अनोखे कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिसमें दो लाख से अधिक महिलायें उपस्थित रहेंगी।
कार्यक्रम का आयोजन महिलाओं को, खासकर जमीनी स्तर पर उन्हें जरूरी कौशल, प्रोत्साहन और संसाधन उपलब्ध करवा कर सशक्त बनाने के विषय में प्रधानमंत्री के नजरिये के अनुरूप किया जा रहा है। महिलाओं को सहायता प्रदान करने के क्रम में प्रधानमंत्री 1000 करोड़ रुपये की धनराशि स्वसहायता समूहों के खातों में अंतरित करेंगे, जिससे स्वसहायता समूहों की लगभग 16 लाख महिला सदस्यों को फायदा होगा। यह अंतरण दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत किया जा रहा है, जिसके अनुसार प्रति स्वसहायता समूह 1.10 लाख रुपये के हिसाब से 80 हजार समूहों को समुदाय निवेश निधि (सीआईएफ) तथा 15 हजार रुपये प्रति स्वसहायता समूह के हिसाब से 60 हजार समूहों को परिचालन निधि प्राप्त हो रही है।
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री 20 हजार व्यापार सखियों (बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेन्ट सखी – बीसी सखी) के खातों में पहले महीने का 4000 रुपये मानदेय भी हस्तांतरित करेंगे। बीसी-सखियां जब घर-घर जाकर जमीनी स्तर पर वित्तीय सेवायें उपलब्ध कराती हैं, तो उन्हें छह महीने के लिये 4000 रुपये मानदेय दिया जाता है, ताकि वे स्थायी रूप से काम कर सकें और उसके बाद लेन-देन से मिलने वाले कमीशन से उन्हें आय होने लगे।
प्रधानमंत्री कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना के तहत एक लाख से अधिक लाभार्थियों को 20 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भी हस्तांतरित करेंगे। इस योजना से कन्याओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में शर्तों के साथ नकद हस्तांतरण मिलता है। प्रति लाभार्थी हस्तांतरित की जाने वाली कुल रकम 15 हजार रुपये है। विभिन्न चरणों में: जन्म (दो हजार रुपये), एक वर्ष होने पर सारे टीके लग जाना (एक हजार रुपये), कक्षा-प्रथम में दाखिला लेना (दो हजार रुपये), कक्षा-छह में दाखिला लेना (दो हजार रुपये), कक्षा-नौ में दाखिला लेना (तीन हजार रुपये,) कक्षा-दस या बारह उत्तीर्ण होने के बाद किसी डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिला लेना (पांच हजार रुपये) शामिल हैं।
प्रधानमंत्री 202 पूरक पोषण निर्माण इकाइयों की आधारशिला रखेंगे। इन इकाइयों का वित्तपोषण स्वसहायता समूह कर रहे हैं तथा इनके निर्माण में प्रति इकाई के हिसाब से लगभग एक करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा। ये इकाइयां राज्य के 600 प्रखंडों में एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत पूरक पोषण की आपूर्ति करेंगी।
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