विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने अंतिम छोर तक के उपभोक्ताओं को आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से वितरण ढांचे के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करके सरकारी स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों/विद्युत विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार के उद्देश्य के साथ सुधार-आधारित और परिणाम से जुड़ी पुनरोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) शुरू की थी।
मेघालय और असम की राज्य सरकारें अपने परिचालन और वित्तीय सुधारों के साथ-साथ पुरनरोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (नोडल एजेंसी – आरईसी) के तहत इसे पूरा करने के लिए अंतर्निहित कार्यों की योजना बनाने में अग्रणी बन गई हैं। तदनुसार, उनकी राज्य स्तरीय वितरण सुधार समिति (डीआरसी) और राज्य मंत्रिमंडल ने योजना के तहत कार्य योजना और डीपीआर सहित कई प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।
कई सुधार उपायों सहित राज्यों की कार्य योजनाओं का उद्देश्य आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाने की दिशा में काम करने के अलावा इसमें होने वाले नुकसान में कमी लाना, उनके अधिकांश उपभोक्ता आधार के स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग को लागू करना, वित्त वर्ष 2023 तक 100% फीडर स्तर ऊर्जा अकाउंटिंग, पुराने कंडक्टरों का पुन: संचालन, एलटी एबीसी में रूपांतरण, फीडरों का विभाजन, कृषि फीडरों का पृथक्करणऔर बिलिंग तथा अन्य आईटी/ओटी प्रणालियों का उन्नयन शामिल हैं।
इन योजनाओं के तहत, राज्य सरकारें वितरण कंपनियों की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं, जैसे कि शेष सब्सिडी बकाया और सरकारी विभाग की बकाया राशि का भुगतान, टैरिफ सुधारों का कार्यान्वयन, उपभोक्ता सेवाओं को बढ़ाने के उपाय आदि। इन प्रस्तावों को अब अनुमोदन के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के सामने रखा जाएगा।
इस बार, पूर्वोत्तर राज्यों में से दो ने अपने बिजली क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए योजना निर्माण में अनुकरणीय पहल दिखाई है। साथ ही, कई अन्य राज्य भी इस योजना के तहत अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के उन्नत चरण में हैं। 55 में से 39 लाभार्थी कंपनियां (नोडल एजेंसियां आरईसी और पीएफसी) पहले ही अपने मसौदा प्रस्ताव जमा कर चुकी हैं और उन्हें अंतिम रूप देने के लिए नोडल एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा कर रही हैं, जबकि शेष वितरण कंपनियों के भी जल्द ही अपने प्रस्ताव भेजने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि पुनरोत्थान वितरण क्षेत्र योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र सरकार से अनुमानित बजटीय सहायता 97,631 करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध होगा। सहायता सुधारों से जुड़ी हुई और वित्तीय तथा परिचालन सुधारों से जुड़े एक सर्वसम्मत और अनुकूलित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकन किए गए डिस्कॉम द्वारा पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ प्रदर्शन बेंचमार्क की उपलब्धि पर आधारित होगी। योजना की अनूठी विशेषता यह है कि इसका कार्यान्वयन “एक आकार-सभी के लिए फिट”दृष्टिकोण के बजाय राज्य विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित है।
इस कार्यक्रम के तहत परिकल्पित प्रमुख कार्यों में वितरण कंपनियों को 100% सिस्टम मीटरिंग सुनिश्चित करने की गतिविधियों को शुरू करने के लिए सहायता प्रदान करना, प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग को लागू करना, ऊर्जा अकाउंटिंगऔर नुकसान में कमी के लिए बुनियादी ढांचे के कार्यों को लागू करना, साथ ही गुणवत्ता में सुधार और बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता हासिल करने के उद्देश्य से आधुनिकीकरण तथा प्रणाली उन्नयन शामिल है। इसके अलावा, केवल कृषि उद्देश्यों की बिजली की आपूर्ति के लिए समर्पित फीडरों का पृथक्करण, जिन्हें कुसुम योजना के तहत सौरीकृत करने का प्रस्ताव है, योजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किया जाएगा। अपने प्रस्तावों के साथ, वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को अपनी वितरण प्रणाली को मजबूत करने और परिचालन दक्षता, वित्तीय व्यवहार्यता तथा बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार को लक्षित करने वाले विभिन्न सुधार उपायों के माध्यम से प्रदर्शन में सुधार के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करने की भी आवश्यकता होगी।
देश में बिजली वितरण कंपनियों के परिचालन और वित्तीय नुकसान की वर्तमान स्थिति को देखते हुए तथा महामारी प्रभावित वर्ष में बिजली क्षेत्र के साथ-साथ समग्र अर्थव्यवस्था को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, वितरण कंपनियों के साथ कई बैठकें और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं ताकि बिजली मंत्रालय और नोडल एजेंसियों द्वारा निर्धारित योजना के तहत लाभ लेने के लिए उनकी तैयारी के स्तर का आकलन किया जा सके। माननीय विद्युत मंत्री श्री आर के सिंह की अध्यक्षता में ये बैठकें आयोजित की गईं।