पुनर्जागरण

विश्व इतिहास

             पुनर्जागरण का प्रारम्भ इटली के फ्रलारेंस नगर से माना जाता है।

             इटली के महान कवि दाँते को पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है। उन्होंने इटली की बोलचाल की भाजा ‘टस्कन’ में ‘डिवाइन कॉमेडी’ नामक काव्य की रचना की थी।

             पुनर्जागरण को प्रश्रय देनेवाला दूसरा व्यक्ति इटली निवासी पेट्रॉक था। इसे मानवतावाद का संस्थापक माना जाता है।

             इटालियन गद्य का जनक ‘बोकेशियो’ को माना जाता है। इसकी ‘डेकामेरॉन’ प्रसिद्ध पुस्तक है।

             आधुनिक विश्व का प्रथम राजनीतिक चिन्तक फ्रलोरेंस निवासी मैकियावेली को माना जाता है।

             लियोनार्दो द विंची एक बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति थे। वह चित्रकार, मूर्तिकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, कवि और गायक था। उसकी कृति ‘द लास्ट सपर’ और ‘मोनालिसा’ प्रसिद्ध रचना है।

             रॉफेल इटली का चित्रकार था, इसकी सर्वश्रेष्ठ कृति जीसस क्राइस्ट की माता ‘मेडोना’ का चित्र है।

             पुनर्जागरण काल में चित्रकला का जनक ‘जियाटो’ को माना जाता है।

             पुनर्जागरण काल का सर्वश्रेष्ठ निबन्धकार इंग्लैण्ड का फ्रांसिस बेकन था।

             इंग्लैण्ड के रोजर बेकन को आधुनिक प्रयोगात्मक विज्ञान का जन्मदाता माना जाता है।

             इंग्लैण्ड के लेखक टॉमस मूर ने अपनी पुस्तक ‘यूटोपिया’ में आदर्श समाज का चित्र प्रस्तुत किया है।

             ‘रोमियो एण्ड जुलियट’ शेक्सपीयर (इंग्लैण्ड) की अमर कृति है।

             ‘पृथ्वी सौरमण्डल का केन्द्र है’, इसका खंडन सर्वप्रथम पोलैण्ड निवासी कोपरनिकस ने किया था।

             गैलीलियो (इटली) ने कोपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया था।

             जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक केपला/केपलर ने गणित की सहायता से यह बताया था कि ग्रह सूर्य का परिक्रमा किस प्रकार करते हैं।

             धर्म-सुधार आन्दोलन का प्रवर्तक जर्मनी निवासी मार्टिन लूथर था।

             धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरूआत इंग्लैण्ड से हुई।

             जॉन विकलिफ को धर्म-सुधार आन्दोलन का ‘प्रातःकाल का तारा’ कहा जाता है। इसके अनुयायी ‘लोलार्ड्स’ कहलाते थे।

             ‘अमेरिगो बेस्पुसी’ (इटली) के नाम पर अमेरिका का नाम पड़ा।

             प्रशान्त सागर का नामकरण स्पेन निवासी मैगलन ने किया। उसने समुद्री मार्ग से सर्वप्रथम सम्पूर्ण विश्व का चक्कर लगाया था।

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