बैक स्ट्रीट करोलबाग के स्कूल की 4115 वर्ग मीटर की ज़मीन पर अवैध पार्किंग और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी में भाजपा शासित एमसीडी
- 2019 में स्कूल को बंद किया फिर प्राइवेट माफियाओं के साथ मिलकर पार्किंग प्रॉजेक्ट का प्लान बनाया- विशेष रवि
- डीडीए से लैंड यूज बदलवाने के बाद ही उस ज़मीन पर अन्य प्रॉजेक्स शुरू हो सकता है लेकिन बिना लैंड यूज बदलवाए एमसीडी ने टेंडर शुरू किया- विशेष रवि
- कोरोना से पहले उस स्कूल में लगभग 800 बच्चे पढ़ते थे, शिक्षकों की कमी बताकर काटे बच्चों के नाम- विशेष रवि
- सरकारी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने जाते हैं, यदि इस प्रकार स्कूलों को बंद किया जाएगा तो वह कहां जाएंगे- विशेष रवि
- एमसीडी के स्कूल की कक्षाओं में बच्चे नहीं बल्कि गाड़ियां पढ़ाई कर रही हैं, टेंडर से पहले ही वहां पार्किंग शुरू है- आप
- स्कूल के अंदर तीन मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा, इस अनुसार 700 गाड़ियां तो कॉम्प्लेक्स की ही खड़ी हो जाएंगी- आप
- स्कूल के बाहर भगवती मार्केट है, नवंबर 2021 की सुबह एमसीडी ने वहां की सभी 45 दुकानों को सील कर दिया- आप
- कोरोना से दुकानदारों की हालत पहले ही खराब थी, एमसीडी के लालच ने आज उनसे रोटी भी छीन ली है, वह आत्मदाह को मजबूर हैं- आप
नई दिल्ली, 17 जनवरी 2022
‘आप’ विधायक विशेष रवि ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी बैक स्ट्रीट करोलबाग के स्कूल की 4115 वर्ग मीटर की ज़मीन पर अवैध पार्किंग और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी में है। 2019 में स्कूल को बंद किया फिर प्राइवेट माफियाओं के साथ मिलकर पार्किंग प्रॉजेक्ट का प्लान बनाया। डीडीए से लैंड यूज बदलवाने के बाद ही उस ज़मीन पर अन्य प्रॉजेक्स शुरू हो सकता है लेकिन बिना लैंड यूज बदलवाए एमसीडी ने टेंडर शुरू किया। कोरोना से पहले उस स्कूल में लगभग 800 बच्चे पढ़ते थे, शिक्षकों की कमी बताकर एमसीडी ने बच्चों के नाम काट दिए। सरकारी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने जाते हैं, यदि इस प्रकार स्कूलों को बंद किया जाएगा तो वह कहां जाएंगे। सम्मान एनजीओ के ट्रेज़रर अशोक दत्ता ने कहा कि एमसीडी के स्कूल की कक्षाओं में बच्चे नहीं बल्कि गाड़ियां पढ़ाई कर रही हैं, टेंडर से पहले ही वहां पार्किंग शुरू है। स्कूल के अंदर तीन मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा, इस अनुसार 700 गाड़ियां तो कॉम्प्लेक्स की ही खड़ी हो जाएंगी। भगवती मार्केट के अध्यक्ष हरजीत सिंह ने कहा कि स्कूल के बाहर हमारी दुकानें हैं, नवंबर 2021 की सुबह एमसीडी ने सभी 45 दुकाने सील कर दी और हमें ऐसे स्थान पर जाने को कहा जहां किसी भी वक्त हादसा हो सकता है। कोरोना से हमारी हालत पहले ही खराब थी, एमसीडी के लालच ने आज हमसे रोटी भी छीन ली है, हम आत्मदाह को मजबूर हैं।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और करोल बाग से विधायक विशेष रवि ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। विशेष रवि ने कहा कि आप देख रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली की हेरिटेज प्रॉपर्टीज, दिल्ली की कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज और दिल्ली की ऐसी बहुत सारी प्रॉपर्टीज जो सरकार थीं, उन्हें बेचा जा रहा है। लेकिन एमसीडी ने अब तो हद ही पार कर दी है। नॉर्थ एमसीडी अब स्कूलों की जमीनों को बेचने पर उतारू हो गई है। यह मामला करोलबाग का है, जहां बैक स्ट्रीट के लगभग 4115 वर्ग मीटर की संपत्ति को नॉर्थ एमसीडी ने बेच दिया है। इस ज़मीन पर निगम के 2 स्कूल चल रहे थे, एक लड़कियों का और दूसरा लड़कों का। 2019 तक यह दोनों स्कूल चल रहे थे। वहां आसपास रहने वाले गरीब परिवारों से बच्चे पढ़ने आते थे। जब कोरोना आया, उस समय करोलबाग मार्केट में जो बड़े-बड़े शोरूम हैं, उनके मालिकों ने एमसीडी के साथ मिलकर प्लान बनाया कि कैसे इन स्कूल को बंद कर के और उस ज़मीन को बेचकर वहां पार्किंग प्रॉजेक्ट शुरू किया जाए।
नॉर्थ एमसीडी के पास करोलबाग में पार्किंग बनाने के लिए पहले से तीन ज़मीनें थीं। इसमें से एक ज़मीन शास्त्रीपार्क की थी, एक मूसारोड पर थी, इसके अलावा एक और ज़मीन इनके पास थी। तीनों ज़मीने मार्केट से बहुत दूर थीं। इसलिए शोरूम के मालिकों ने सोचा कि पार्किंग दूर बनने से लोग आसानी से मार्केट नहीं पहुंच पाएंगे जिससे उनका सामान बिकेगा नहीं। तो उन लोगों ने एमसीडी के अधिकारियों के साथ मिलकर यह प्लान बनाया कि कुल 4 साइट्स में से सिर्फ स्कूल वाली साइट के लिए ही बिड आए क्योंकि स्कूल की ज़मीन मार्केट के पास थी। उसके बाद उसपर पार्किंग बनाई जाए।
कोरोना से पहले इन स्कूलों में लगभग 800 बच्चे पढ़ रहे थे। एमसीडी ने धीरे-धीरे बच्चों से कहना शुरूर किया कि कोरोना के कारण शिक्षकों की कमी है, यहां स्कूल चलना संभव नहीं है इसलिए आप लोग किसी ओर स्कूल में चले जाएं। इसके बाद उन बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया गया। जब यह लोग पार्किंग प्रॉजेक्ट लेकर आए, आप जानते हैं कि यदि शिक्षा से संबंधित कोई ज़मीन है तो बिना लैंड यूज बदले उस ज़मीन पर अन्य कोई भी प्रॉजेक्ट नहीं ला सकते हैं। एमसीडी 2021 का जो नियम बना हुआ है उसके अनुसार यदि एमसीडी को लैंड यूज बदलना है तो उसे डीडीए से आग्रह कर ज़मीन का लैंड यूज बदलवाना होगा, उसके बाद ही वह उसपर कोई अन्य प्रॉजेक्ट ला सकते हैं। लेकिन इस मामाले में एमसीडी ने ज़मीन का लैंड यूज नहीं बदलवाया। लैंड यूज को बदलवाए बिना पार्किंग के प्रॉजेक्ट को लाया गया।
लगभग 500 गाड़ियों की पार्किंग बनाने का इनका प्लान है। उसके टेंडर में उन्होंने तय कर रखा है कि ठेकेदार 300 गाड़ियों के लिए पार्किंग की जगह बनाके देगा। जो बाकी 200 गाड़ियां हैं, बची हुई जगह पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने का प्लान है। कुछ दुकानों को बनाकर उन्हें बेचने का प्लान है। स्कूलों को खत्म कर के पार्किंग बनाना, सरासर निंदनीय है। जनता इसका विरोध कर रही है। आप जानते हैं कि करोलबाग में ज्यादातर गरीब लोग रहते हैं। यदि स्कूल बंद हो गया तो वहां के आसपास के बच्चों को शिक्षा कहां से मिलेगी। इस ज़मीन के पास ही 2 क्लस्टर भी हैं, जहां गरीब परिवार रहते हैं, जिनके बच्चे यहां पढ़ने आते थे लेकिन एमसीडी उनसे यह हक छीन रही है। बच्चों के राइट टू एजूकेशन का हनन हो रहा है। स्कूल के बंद होने से बच्चों को शिक्षा के लिए कहीं दूर जाना पड़ेगा। यदि सरकारी स्कूलों को इस प्रकार बंद करने का काम किया जाएगा तो इसका मतलब है कि एमसीडी प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। लेकिन इन गरीबों के पास प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए पैसे कहां से आएंगे। हम इसका विरोध करते हैं।
एमसीडी का कहना है कि इस प्रॉजेक्ट के जरिए एमसीडी कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह मिल सकेगी। मेरा यह कहना है कि क्या बच्चों के भविष्य को खत्म करके तनख्वाह बांटना सही है? इसके अनुसार तो एक ऐसा वक्त भी आएगा जब एमसीडी में शासित भाजपा सिविक सेंटर को भी बेच देगी। हमारा कहना यह है कि यदि ज़मीने बेचनी ही हैं तो भाजपा के उन नेताओं की लिस्ट बनाई जाए जो 15 सालों से भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जनता को लूट रहे हैं। 15 सालों से जो कमिश्नर की कुर्सी पर बैठे हुए हैं, यह उनकी आयोग्ता है। उनकी गलतियों का भुगतान आम आजना को क्यों करना पड़ रहा है। यह सरासर गलत है। यदि ज़मीने बेचनी ही हैं तो भाजपा के भ्रष्ट पार्षदों और अधिकारियों की व्यक्तिगत ज़मीनों को नीलाम किया जाए फिर कर्मचारियों की तनख्वाह दी जाए। जिस स्कूल की ज़मीन को एमसीडी बेच रही है वह न तो भाजपा के पार्षदों की है, न मेयरों ही हैं और न ही अन्य अधिकारियों की है। वह ज़मीन सरकारी है, यह ज़मीन दिल्ली की जनता की है। इस ज़मीन पर सिर्फ दिल्ली की जनता की सुविधा के लिए काम होना चाहिए। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि एमसीडी इस गैरकानूनी प्रॉजेक्ट को तुरंत वापस ले। करोलबाग की जनता सड़कों पर विरोध करने के लिए तैयार है, कोर्ट में विरोध करने के लिए तैयार है।
मैं एक और बात बताना चाहूंगा कि स्कूल के पास भगवती मार्केट के नाम से दुकानें हैं जो लगभग 50 सालों से वहां मौजूद हैं। 1948 में जब भारत-पाकिसतान का बटवारा हुआ तब हिंदू परिवारों को वह दुकानें दी गई जिससे वह लोग अपना पालन-पोषण कर सकें। यह सभी 45 दुकानें सभी टैक्स समय पर भरती हैं। इसके बावजूद अचानक एक सुबह निगम के अधिकारी आते हैं और उन दुकानों को सील कर देते हैं। आज वह दुकानदार सड़कों पर आ गए हैं। उन्हें खाने-पीने की समस्या हो रही है। अभी 3 दिनों पहले इन दुकानदारों का एक विडीयो आया जिसमें वह विरोध करते हुए कहते हैं कि यदि एमसीडी ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो वह वहीं आत्महत्या कर लेंगे। देश की राजधानी में यह कैसा काम चल रहा है। निगम में शासित भाजपा को शर्म आनी चाहिए।
साउथ एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष प्रेम चौहान ने कहा कि भाजपा पिछले 15 सालों से भ्रष्टाचार में लिप्त है। लेकिन अब भाजपा ने भ्रष्टाचार से भी घिनौना काम शुरू कर दिया है। क्या भाजपा के नेताओं को नहीं पता है कि निगम में क्या हो रहा है। भाजपा निगम में रहकर सिर्फ तुगलकी फैसले ले रही है। पिछले ही हफ्ते इन लोगों ने साउथ एमसीडी के 29 स्कूलों को बंद कर दिया। इसपर हम अलग से प्रेसवार्ता करेंगे कि एमसीडी ने पिछले 5 सालों में कितने स्कूल बंद किए हैं। आखिर कबतक आप लोग दिल्ली के स्कूलों को बेचकर पार्किंग बनाएंगे। अब सिर्फ 3 महीनों का वक्त बचा है, दिल्ली की जनता निगम से भाजपा का निकाल फेंकने वाली है। हम सब जानते हैं कि आज़ादी के बाद से जो भी सरकारें आईं, अलग-अलग कॉलोनियों में स्कूलों के लिए वेकेंट लैंड उपलब्ध हैं। लेकिन भाजपा बने-बनाए स्कूलों को बंद कर रही है। पहले पार्किंग से अवैध पार्किंग बनाकर पैसा कमाया। फिर प्राइवेट माफियाओं को पार्किंग देकर पैसा कमाया। उसके बाद पार्किंग के टेंडरों के जरिए पैसा कमाया। अब प्राइवेट माफियाओं के साथ मिलकर स्कूलों को बेचकर पार्किंग बना रहे हैं। भाजपा शासित एमसीडी बच्चों से उनकी शिक्षा का हक छीन रही है। भाजपा अपने घटियापन से निकलकर आए और कम से कम बच्चों के भविष्य को खराब न करे।
सम्मान एनजीओ के ट्रेज़रर अशोक दत्ता ने कहा कि मैं करोलबाग के स्कूल में गया तो बड़ी हैरानी की बात है कि वहां की कक्षाओं में मोटरसाइकिल खड़ी हुई थीं। पहली बार मैंने देखा कि एमसीडी के स्कूल में कार पार्किंग चल रही है। उसी स्कूल में उन्होंने यह भी लिख रखा है कि ‘बेटी बढ़ाओ, बेटी बचाओ’। स्कूल कक्षाओं में बच्चों के स्थान पर मोटरसाइकीलें पढ़ाई कर रही हैं। यह स्कूल 1947 से पहले का है। करोलबाग की इस ज़मीन पर कार पार्किंग की इजाज़त नहीं है। इस साजिश के तहत एमसीडी ने यह स्कूल 1 अप्रैल 2019 को बंद कर दिया। एमसीडी यह कभी खुद से नहीं बताया। हमने अभी आर्टीआई लगाई जिसके अनुसार इन्होंने उस स्कूल को हॉर्टिकल्चर विभाग में बदल दिया है। इसमें 43 बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए हैं जिन्हें तुरंत कटवाया जाएगा।
एमसीडी के चुनाव से पहले इन्होंने कहा कि वहां 500 गाड़ियों के लिए कार पार्किंग बनाई जाएगी। जबकि वहां पहले ही 370 गाड़ियां खड़ी हैं। 500 गाड़ियों के लिए वहां मल्टीलेवल पार्किंग बनाई जाएगी। सोचने की बात है कि उन्होंने पहले से ही गाड़ियां खड़ी करने का ठेका दिया हुआ है। यानी कि 500 से अधिक गाड़ियां वहां अभी से खड़ी हैं। इनका कहना है कि वहां कार पार्किंग बनेगी लेकिन उसकी आंड़ में एमसीडी तीन मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने जा रही है। इस अनुसार 700 गाड़ियां तो कॉम्प्लेक्स की ही खड़ी हो जाएंगी। स्कूल के उस रास्ते पर पहले ही बहुत ज्यादा ट्राफिक रहता है। इस कॉम्प्लेक्स की वजह से ट्राफिक और ज्यादा लगेगा। उसके लिए एमसीडी ने किसी प्रकार की कोई इजाज़त नहीं ली है। यह टेंडर 50 सीआर का था जो कि 81 करोड़ में दे दिया। इससे साफ है कि यहां पर एक बड़ा घपला किया जा रहा है। एमसीडी एक बड़ा गैरकानूनी काम कर रही है।
भगवती मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष हरजीत सिंह ने कहा कि 1947 में जो हिंदू रिफ्यूजी पाकिसतान से आए थे। उस दौरान अलग-अलग जगह पर खोखे बने हुए थे। 1973 में उन लोगों ने सभी खोखों को इकट्ठा करके हमें यह प्लॉट दिया जो स्कूल की बाउंडरी के बाहर है। इसके लिए हम 73 से ही लीज़ भी भरते आ रहे हैं। अब इन्होंने हमें हाई कोर्ट का गैरकानूनी नोटिस भेजा कि 4 दिनों में दुकानें खाली करों नहीं तो सभी दुकानों को तोड़ दिया जाएगा। नवंबर 2021 की सुबह इन्होंने सभी दुकानें सील कर दी जिससे वह हमसे लेटर पर साइन करा सकें कि सभी दुकानदार अपनी मर्जी से दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे हैं। इन्होंने बंदूक की नोक पर हम 45 दुकानदारों से साइन करा लिए। शाम को इन्होंने सील खोल दी। हमें जहां भेजा गया उसके नीचे सीवर बना हुआ है। वह चाहते हैं कि हम वहां बैठ जाएं। कल को वहां कोई भी हादसा होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? अब इन्होंने 4 तारीक को आकर फिर से हमारी दुकानें सील कर दी जो अभी तक सील हैं। हमने इनसे पूछा कि आपने हमारी दुकाने सील क्यों की तो उनका जवाब थी कि आप हमारी बात नहीं मान रहे, आप हमारी बताए स्थान पर नहीं जा रहे इसलिए दुकानें सील कर दी हैं। आज हम सड़क पर आ गए हैं। कोरोना के कारण पहले ही हमारी हालत खराब थी और अब एमसीडी के इस फैसले के कारण हमारी रोटी भी छिन गई है। हम आत्मदाह को मजबूर हैं।