मोदी सरकार यूपी चुनाव क्यों हारना चाहती है?

दैनिक समाचार

ठीक चुनाव से पहले किसानों के हत्यारे मंत्री पुत्र को जमानत देकर किसानों में उ.प्र. छवि खराब कर रही है, केन्द्र बहुत बेमन से चुनाव प्रचार कर रहा है, अमित शाह का उ.प्र. चुनाव प्रचार बीच में ही छोड़ कर भाग चुके हैं या बेमन से प्रचार कर रहे हैं, जिस योगी को मुख्यमंत्री का प्रत्याशी बनाया उसी योगी को टिकट बंटवारे में बहुत हद तक दूर रखा गया है, मोदी सरकार से लाभ पाने वाले कई एन जी ओ इस चुनाव में लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर जनता से मजबूत विपक्ष बनाने की अपील और वकालत कर रहे हैं, ऐसे कई तथ्य हैं, जिससे लगता है कि मोदी और अमितशाह उ.प्र.चुनाव हारना चाहते हैं। कुछ लोग समझ रहे हैं कि ‘योगी को औकात में लाने के लिये मोदी अमितशाह यूपी चुनाव हारना चाहते हैं क्योंकि योगी जीतेंगे तो पीएम का मजबूत दावेदार बन जायेंगे।’ पर मुझे लगता है, योगी दोबारा जीतकर भी पीएम प्रत्याशी की हैसियत में अभी तो नहीं आ पायेंगे।

मामला कुछ और ही है, दरअसल उ.प्र.चुनाव की हार में ही भाजपा की जीत छिपी है क्योंकि यदि यूपी में किसी अन्य पार्टी की सरकार बनेगी तो उस सरकार के ऊपर मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार कम करने की जिम्मेदारी होगी। वह इन्हें रोक नहीं पायेगी क्योंकि ये बुराइयां तो उस अर्थव्यवस्था की देन है जिसमें देशी-विदेशी पूंजीपतियों को मनमाना छूट मिली है कि वे जैसे चाहें, जितना चाहें जनता का खून चूसकर अपनी तिजोरी भरते रहें। चुनाव में सरकार किसी की भी बन जाए वह इसी शोषणकारी व्यवस्था को ही तो चलाएगा। तो फिर मंहागाई, बेरोजगारी कहां कम होने वाली है। जब तक शोषक वर्गों की सारी सम्पत्ति जब्त करके समाजवादी अर्थव्यवस्था कायम नहीं होगी तब तक मंहगाई, बेरोजगारी खत्म नहीं होगी ना ही भ्रष्टाचार रुकेगा। समाजवादी व्यवस्था तो समाजवादी पार्टी भी नहीं ला पायेगी। कांग्रेस, बसपा, भाजपा कोई भी पूंजीवादी पार्टी समाजवाद नहीं ला पायेगी।

इसका मतलब मान लीजिये अगर सपा की सरकार बनती है, तो भी मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ेगी। और हिन्दू-मुसलमान के नाम पर दंगा कराने वाले जब विपक्ष में बैठ जायेंगे तो खुले-आम दंगे-फसाद भी खूब करेंगे। तब सपा के खिलाफ एण्टी इन्कम्बैन्सी का वोट बढ़ेगा। जिसका फायदा उठाकर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर भारी बहुमत से आ जायेगी।
अगर यूपी में भाजपा की सरकार बनेगी तो एण्टी इन्कम्बैन्सी भाजपा के खिलाफ बढ़ेगी, तब लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की करारी हार होगी। तब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनाना मुश्किल हो जायेगा। इस बात को मोदी-अमित शाह समझ रहे हैं। लखीमपुर नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता मंत्री अजय मिश्र टेनी को भी पता है, इसी लिये अपने हत्यारे बेटे आशीष मिश्र को आनन-फानन में पूरी ताकत लगाकर जमानत करवा लिया। वरना सरकार बदलने के बाद सश्रकार की तरफ से मजबूत पैरवी होती तब तो पूरे पांच साल जेल में ही रहने की संभावना थी।

जो भी हो, भाजपा-आरएसएस ने उ.प्र. को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बना दिया है। चुनाव हारने के बाद भी वे इस प्रयोगशाला में कई खतरनाक प्रयोग करेंगे। इसलिए शोषित-पीड़ित जनता को अब अधिक जुझारू संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा। इस लड़ाई को हिन्दू-मुस्लिम एकता की ताकत से जीतना मुश्किल ही नहीं असंभव है। इस लड़ाई को मेहनतकशों की एकता से ही जीता जा सकता है।

रजनीश भारती
राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा

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