आजकल सोशल मीडिया पर डॉक्टर बी आर अंबेडकर के नाम पर ,अपने अपने चेहरे चमकाने के लिए, अपनी अपनी पहचान बनाने के लिए ,अपनी अपनी जात की पहचान बनाने के लिए (जातिवाद को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है जातियों का प्रदर्शन हो रहा है) एससी ,एसटी ओबीसी के, साधन संपन्न ,खाते ,पीते लोगों ने अभियान छेड़ा हुआ है, जिसमें इन अंबेडकरवादी तथाकथित समाज के बहुसंख्यक परंतु निचली पायदान पर खड़े लोगों के असली मुद्दे, जन्मजात गरीबी, जन्मजात अशिक्षा, जन्मजात शोषण और उत्पीड़न, जन्मजात बेरोजगारी जैसे मुद्दे आज भी जीवित हैं, ना ही इनके कारणों की चर्चा होती है ना निवारण के लिए कोई कारय योजना है ऐसी चर्चा होती है।
तब चर्चा क्या होती है? चर्चा होती है कि हमारे बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर भारत रत्न ही नहीं विश्व रत्न हैं उनके पास 36 डिग्रियां उनसे बड़ा कोई विद्वान नहीं था भारत में, इसीलिए उनसे ही भारत का संविधान लिखवाया गया / बनवाया गया। यह संविधान दुनिया का सबसे श्रेष्ठ संविधान है। बाबा साहब के इसी संविधान के कारण हमें बोलने का अधिकार मिला, हम यहां इतने बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुए हैं, हमें आजादी मिली है हमें शिक्षा का अधिकार मिला है, हमें संपत्ति का अधिकार मिला है, हमें वोट डालने का अधिकार मिला है, अब रानी के पेट से कोई राजकुमार नहीं पैदा होगा। हम शासक थे, हम हम शासक बनेंगे, हम 1936 तक प्रबुद्ध भारत बनाएंगे जो बाबा साहब का मिशन था। यह ब्राह्मण विदेशी है ,यूरेशिई है, इसका डीएनए टेस्ट हो चुका है उसमें यह बात सिद्ध हो गई है। यह भी चर्चा होती है कि हम मूलनिवासी हैं भारत के। हम सबको इकट्ठा हो जाना चाहिए हम पचासी फीस दी हैं हमको शासक बनना चाहिए।
कुछ तो बहुजन समाज के नेता यह कहते हैं कि मैं 13 साल से यही काम कर रहा हूं लोगों के जोड़ने का, आज 43 साल हो गए हमारा नेटवर्क गांव तक फैल गया है, हम जल्दी शासक बन जाएंगे बस ईवीएम खतरनाक है, जिसकी वजह से हम सत्ता से बाहर हैं। यह भी चर्चा होती है यह सरकार हमारे बाबा साहब का संविधान बदल देगी, अपना संविधान लागू करेगी जो हमारे गले में हाडी और कमर में झाड़ू बांध देगा।
यद्यपि यह अपने को बहुजन कहते हैं बहुजन समाज का सदस्य कहते हैं मूलनिवासी कहते हैं लेकिन अपनी अपनी जातियों को आगे लेकर चलते हैं जबकि बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का नारा था जाति विहीन एवं वर्ग विहीन समाज की स्थापना करना, फिर भी यह अंबेडकरवादी हैं कट्टर अंबेडकरवादी हैं।
एक और चर्चा जोरो से होती है कि हमें हमारे बाबा साहब का संविधान हर हालत में बचाना है, परंतु बड़े दुख की बात है कि यह इस बात की चर्चा नहीं करते हैं किस संविधान सभा में 296 सदस्य चुनकर आए थे 93 सदस्य राजा महाराजाओं के नुमाइंदे थे इस प्रकार संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे जिन्होंने संविधान का निर्माण किया और बाबा साहब की ड्राफ्टिंग कमिटी ने संविधान सभा से निर्मित सिद्धांतों को संविधान की शक्ल दी संविधान की पुस्तक बना दी ।इस सच को या तो यह जानते नहीं या फिर बाबा साहब के द्वारा संविधान प्राप्त सम्मान को बनाए रखने के लिए सच को सामने नहीं लाते या फिर अपने ही समाज का भावनात्मक शोषण करते हैं??
यह सच है कि इन्होंने सोशल मीडिया पर बहुजन नेताओं ने जो झूठ का बाजार बना रखा है इससे जो वर्ग गुलाम था सदियों से वह आज भी गुलाम है , इन लोगों की बातों से प्रभावित होकर अपने मुद्दों को भूल जाता है और अपने नेताओं का राजनीतिक शिकार हो जाता है और यही हो रहा है।
मैं अनुरोध करता हूं उन बुद्धिजीवियों से किस संविधान के निर्माण को पढ़ें संविधान सभा की डिबेट को पढ़ें और संविधान की असलियत को जनता के सामने लाएं एसटी एससी ओबीसी के लिए यह संविधान में एक भी आर्टिकल मूल अधिकारों में क्यों नहीं है इसके लिए कौन उत्तरदाई है, कौन उत्तरदाई है इनकी वर्तमान दुर्दशा के लिए क्या बहुजन समाज के संगठन अथवा संविधान निर्माता जिन्होंने एसटी एससी ओबीसी के लिए संविधान में कोई सामाजिक आर्थिक व्यवस्था नहीं रखी । क्या यह दलित राजनीतिदिशा विहीन तो नहीं है यह किसी मजबूरी बस किसी और के दिशा निर्देश पर काम तो नहीं कर रही है क्योंकि इसके पास दलितों के कोई मुद्दे तो नहीं है। आप लोग ठीक से जांच पर करें और सही दिशा दें।
द्वारा : डा. राजा राम