केजरीवाल सरकार के 6 स्कूलों को अपने अनूठे इनोवेशन के लिए मिला अवार्ड
राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का सबसे बड़ा योगदान, अपने काम के माध्यम से हजारों जीवन को प्रभावित करते शिक्षक:उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
हमारे शिक्षकों ने महामारी के दौरान अपने छात्रों तक पहुंचने में अविश्वसनीय रूप से धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाकर ‘लर्निंग नेवर स्टॉप’ का संदेश दिया: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
दिल्ली का शिक्षा मॉडल केवल लीडरशिप का मॉडल नहीं बल्कि ‘टीम एजुकेशन’ के सामुहिक प्रयासों का परिणाम: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
7 मार्च, नई दिल्ली
केजरीवाल सरकार राष्ट्र निर्माण में स्कूलों की भूमिका को सबसे प्रमुख मानती है और राष्ट्र की नीँव बच्चों के भविष्य को संवारने में स्कूलों के योगदान की सराहना करते हुए स्कूलों को सम्मानित करने की परम्परा का पालन करती है| इस दिशा में सोमवार को केजरीवाल सरकार ने त्यागराज स्टेडियम में दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले स्कूलों को ‘एक्सीलेंस इन एजुकेशन’ अवार्ड देकर सम्मानित किया| साल 2020 के लिए अवार्ड की विभिन्न कैटोगरी में 48 स्कूलों व साल 2021 के लिए 45 स्कूलों का चयन किया गया साथ ही समारोह में कक्षा 10वीं व 12वीं के 276 टॉपर स्टूडेंट्स को भी सम्मानित किया गया| इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि “शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़े भागीदार होते हैं। वे अपने काम से हज़ारों जिंदगियों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के मुश्किल दौर में भी टीचर्स ने जिस जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका निभाते हुए ‘लर्निंग नेवर स्टॉप’ का संदेश दिया वो वाकई में काबिले तारीफ़ था| श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल केवल लीडरशिप का मॉडल नहीं है बल्कि ‘टीम एजुकेशन’ के सामुहिक प्रयासों का परिणाम है|
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल जब शानदार प्रदर्शन करते है तो उन्हें सफलता मिलती है लेकिन एक्सीलेंट बनने के लिए लीक से हटकर सोचने की जरुरत होती है और अपने अनूठेपन व नए इनोवेशन की बदौलत ही स्कूल ये अवार्ड प्राप्त करते है| लेकिन इस अवार्ड को जीतने के बाद उनकी चुनौती और बढ़ जाती है क्योंकि अब और बेहतर बनने के लिए उनका मुकाबला स्वयं से होता है| उन्होंने कहा कि स्कूल अपने इस एक्सीलेंस को बनाए रखे और स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शानदार शिक्षा देकर भारत के भविष्य को मजबूती प्रदान करें|
स्कूलों द्वारा अपनाए गए नवाचार
- गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेज
बाबा नन्हे नाथ सर्वोदय कन्या विद्यालय खेरा कलां को दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ सरकारी स्कूलों में से एक के रूप में ” गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेज ” के अनूठे विचार के लिए सम्मानित किया गया था। इस विचार की अवधारणा एक एक्टिविटी गार्डन बनाना है जहां बच्चे खेल के माध्यम से अंतरिक्ष, प्रकृति, विज्ञान और गणित जैसे विषयों को सीख सकें। राज्य पुरस्कार के रूप में प्राप्त 25000 रुपये के साथ स्कूल में ये गार्डन विकसित किया गया था। इस गार्डन की अनूठी बात यह है कि इसे शिक्षकों स्वयं तैयार किया है, चाहे वह एक विशाल रॉकेट मॉडल हो, मैग्नेटिक लेविऐशन मॉडल हो या लाइफ साइज़ एनिमल स्कल्पचर। छात्रों के सीखने के स्तर को बढ़ाने के लिए मल्टी-सेंसरी एप्रोच को लागू करता है।
- गणित शिक्षण के इनोवेटिव तरीकें
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, रूप नगर को अपने अनूठे गणित शिक्षण विधियों को शुरू करने के लिए सम्मानित किया गया। स्कूल फैशन शो, नृत्य, भोजन तैयार करने और रंगोली के माध्यम से अपने छात्रों को गणित पढ़ाता रहा है। समाज में गणित को लेकर काफी पूर्वाग्रह हैं। उदाहरण के लिए, गणित बहुत कठिन है, बहुत उबाऊ है, यह नीरस है, गणित को पढ़ने और समझने में बहुत दिमाग लगता है। कई माता-पिता महसूस करते हैं कि गणित का अच्छी तरह से पढ़ने करने के लिए एक ट्यूटर बहुत महत्वपूर्ण है। गणित के प्रति इन सभी पूर्वाग्रहों, सभी भय, ऊब को तोड़ते हुए, इस स्कूल ने गणित पढ़ाने के बहुत आसान, सरल, रोचक, रचनात्मक और ऐसे स्थानीय तरीकों को अपनाया है जिसमें बच्चे गणित को खुशी से समझ सकते हैं और यह उनकी आगे की पढ़ाई में बाधा नहीं डालता है।
- पक्षियों को दोबारा उनके घरों तक पहुँचाया
सुल्तानपुरी में घर वाकई छोटे हैं और हरियाली भी बहुत कम है। इससे क्षेत्र से पक्षी विलुप्त हो गए। लेकिन राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुल्तानपुरी की छात्राएं और कर्मचारी उन्हें वापस लाने के लिए संकल्पित थे। पक्षियों, विशेषकर गौरैयों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न गतिविधियों के अलावा, स्कूल के छात्रों ने स्कूल में बर्ड-हाउस और फीडर बनाने की दिशा में काम किया। नतीजा यह हुआ कि पक्षी अपना ठिकाना बनाने के लिए स्कूलों में पेड़ों पर आ गए। यहां तक कि कोविड लॉकडाउन के दौरान भी स्कूल ने इसे जारी रखा और इलाके में कई पक्षियों को आश्रय प्रदान किया। इससे अब क्षेत्र में पक्षियों की संख्या बढ़ गई है। इस पहल के लिए स्कूल को पुरस्कृत किया गया।
इसके साथ ही स्कूल ने “समाधान का पिटारा” के माध्यम से बच्चों के मुद्दों का समाधान किया जहां छात्रों को अपनी चिंताओं को लिखकर चिट छोड़ने के लिए कहा गया। और फिर शिक्षकों ने व्यक्तिगत चर्चाओं, समूह गतिविधियों और खेल के माध्यम से इन चिंताओं का समाधान किया
- यह रीडिंग है रूम एक स्ट्रेस बस्टर
सर्वोदय को-एड स्कूल, सेक्टर-8 रोहिणी के प्रिंसिपल अवधेश कुमार झा को जब पता चला कि स्कूल में कई बच्चे ऐसे है जो अपने घरों में अनुकूल वातावरण नहीं होने के कारण ठीक से पढ़ाई नहीं कर नहीं कर पा रहे थे और उनके पास प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी उपयुक्त संसाधन नहीं थे। इसलिए जब स्कूल के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया गया और इसमें 108 नए कमरे बने , तो शिक्षकों और स्कूल के प्रधानाचार्य ने दो कक्षाओं को मिलाकर उसे एक हॉल में बदल दिया। इसका नाम ‘शोभित रीडिंग रूम’ रखा गया। यह कमरा उन छात्रों के लिए 365 दिनों के लिए खुला रहता है, जो स्कूल समय के बाद पढ़ाई और प्रतियोगिताओं की तैयारी करना चाहते हैं। छात्रों को पढ़ाई के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए इस रूम में डेस्क, बेंच, कंप्यूटर और तैयारी संबंधी किताबें हैं।
इसके साथ ही, COVID के बाद छात्रों के बीच तनाव को देखते हुए, स्कूल ने एक स्ट्रेस बस्टर रूम बनाया है जहाँ छात्र अपने तनाव संबंधी मुद्दों को दोस्तों और शिक्षकों के साथ साझा करते हैं और साथ में उनका समाधान ढूंढते हैं।
- दिल्ली के स्कूल में सिक्किम की झलक
आरएसबीवी, सूरजमल विहार के छात्र कुछ महीने पहले सीबीएसई द्वारा शुरू किए गए आर्ट इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, जहां उन्हें ‘भारत में विविधता में एकता’ और ‘एक भारत, सर्वोच्च भारत’ से संबंधित विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए कहा गया था। इसके बाद, स्कूल के प्रधानाचार्य भरत चंद ठाकुर को स्कूल के एक शिक्षक द्वारा सिक्किम राज्य पर एक प्रोजेक्ट के बारे में पता चला। इस कांसेप्ट से प्रभावित होकर उन्होंने इसे स्कूल प्रोजेक्ट के रूप में बदल दिया। और फिर क्या था यह निर्णय लिया गया कि छात्र स्कूल के एक कोने को सिक्किम की विशेषताओं को दिखाते हुए पेंट करेंगे| और ऐसा हुआ भी छात्रों ने स्कूल के एक कोने को सिक्किम में बदल दिया।
इसके साथ ही स्कूल ने सोसाइटी में जाकर लुप्त होती में गौरैयों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी बड़े पैमाने पर काम किया।
- स्टोरी क्रिएटर्स
SOSE कालकाजी की प्रिंसिपल डॉ. रितु कुमारी बताती है कि, एक दिन मैं कक्षा 9वीं के छात्रों के साथ एक फ्रेंडली इंटरैक्टिव सेशन कर रही थी| जब मैंने उनसे उनकी रोज़मर्रा की दिनचर्या के बारे में सवाल किया, तो देखा कि छात्र अपना अधिकांश समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर बिताते हैं। मैंने उनसे उनकी पसंद की कहानियाँ लिखने को कहा और अगले दिन हमारे पास कई नई कहानियाँ थीं। छात्रों ने कहानी लिखने के अपने अनुभव साझा किए। और इस प्रकार हम छात्रों की कहानी लिखने की नई प्रतिभा को सामने लाने में सक्षम थे। और ये आज तक जारी है|
विभिन्न कैटोगरी के अवार्डी स्कूल
स्टेट बेस्ट गवर्मेंट स्कूल- सर्वोदय कन्या विद्यालय, डिस्ट्रिक्ट सेंटर विकासपुरी(2020), सर्वोदय को-एड सीनियर सेकंड्री स्कूल, जेडपी ब्लाक, पीतमपुरा(2021)
बेस्ट राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय/एसओई – राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय, सेक्टर-10 द्वारका(2020), स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस, कालकाजी (2021)
बेस्ट गवर्मेंट एडेड स्कूल-
- मोती लाल मेमोरियल सीनियर सेकंड्री स्कूल, दिलशाद गार्डन
- संत निरंकारी गर्ल्स सीनियर सेकंड्री स्कूल, निरंकारी कॉलोनी
- श्री गुरुनानक खालसा गर्ल्स सीनियर सेकंड्री स्कूल, दिल्ली केंट
- सालवान बॉयज सीनियर सेकंड्री स्कूल, न्यू राजेंद्र नगर मान्यता प्राप्त बेस्ट अनएडेड प्राइवेट स्कूल
- नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल, पटपड़गंज
- विकास भारती पब्लिक स्कूल, सेक्टर 24-रोहिणी
- न्यू जीवन मॉडल स्कूल, विष्णु गार्डन
- मॉडर्न स्कूल, वसंत विहार
- स्प्रिंगडेल्स स्कूल, पूसा रोड
अवार्ड्स की कैटेगरी
• स्टेट बेस्ट गवर्मेंट स्कूल- ये अवार्ड राज्य के सर्वश्रेष्ठ सरकरी स्कूल को दिया जाता है| जहाँ अवार्ड के साथ स्कूल को 1 लाख रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
• डिस्ट्रिक्ट बेस्ट गवर्मेंट स्कूल- इस कैटोगरी में हर डिस्ट्रिक्ट से एक सर्वश्रेष्ठ स्कूल को चुना जाता है| जहाँ अवार्ड के साथ स्कूलों को 50,000 रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
• जोनल बेस्ट गवर्मेंट स्कूल- इस कैटोगरी में हर जोन से एक सर्वश्रेष्ठ स्कूल को चुना जाता है| जहाँ अवार्ड के साथ स्कूल को 21,000 रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
• बेस्ट राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय/एसओई- चयनित स्कूल को अवार्ड के साथ स्कूल को 21,000 रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
• बेस्ट गवर्मेंट एडेड स्कूल- इसमें हर ज़ोन से 1 सर्वश्रेष्ठ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल को अवार्ड के साथ स्कूल को 21,000 रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
• मान्यता प्राप्त बेस्ट अनएडेड प्राइवेट स्कूल- इस कैटोगरी को साल 2021 से शुरू किया गया है| इस कैटोगरी में हर जोन से एक सर्वश्रेष्ठ स्कूल को चुना जाता है| जहाँ अवार्ड के साथ स्कूल को 21,000 रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती है|
किन आधारों पर स्कूलों को मिलता है ‘एक्सीलेंस इन एजुकेशन’ अवार्ड
• सीबीएसई रिजल्ट
• विद्यार्थियों का को-करिकुलर एक्टिविटीज में पार्टिसिपेशन
• स्टूडेंट्स एनरोलमेंट
• स्टूडेंट्स का प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन
• स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर व बाकि बुनियादी सुविधाओं की उपस्थिति
• स्टूडेंट्स व स्टाफ की औसत उपस्थिति
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम में शिक्षा सचिव एच. राजेश प्रसाद, शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता, शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा, शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे|