फैक्ट्री मजदूरों में सब सामान्य-सा था।
एक सामान्य-सी घातकता वाले वायरस ने विश्व-भर में साहबों में मृत्यु-भय उत्पन्न कर दिया था।
साहबों के एक प्रतिनिधि के सटीक शब्द : “जान है तो जहान है!”
दुनिया-भर में साहबों की सरकारों द्वारा लॉकडाउन का सिलसिला।
भारत सरकार ने 23 मार्च 2020 को लॉकडाउन की घोषणा की। लॉकडाउन की अवधि बढाई गई।
साहबों ने अपने भय का प्रसारण करने के लिये सब साधनों का प्रयोग किया। संसार में डर की महामारी।
लाखों फैक्ट्रियाँ एक साथ बन्द।
मजदूरों के तन को राहत। मन को राहत।
देश-वेश, धर्म-वर्म, रंग-वंग, लिंग-विंग के बाड़ों को तोड़ती “विश्व एक ईकाई” वाली वास्तविकता धमाके से सामने आई। नई समाज रचना की सम्भावना में उल्लेखनीय वृद्धि। जीवंत समय अधिक जीवंत हो गया।
● सरकारी आदेश से बन्द लाखों फैक्ट्रियों के महीने-भर से बन्द रहने ने “साहब” कैटेगरी को ही खतरे में डाल दिया था।
दुनिया-भर में सामान्य घातकता वाले वायरस की दवा के लिये ज्ञानियों-विशेषज्ञों द्वारा दिन-रात एक करना। साहबों द्वारा साधनों को झौंकने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। वैक्सीन … साहबों की आशा की किरण।
साहबों का मृत्यु-भय कुछ कम हुआ।
तब साहबों के एक प्रतिनिधि ने सटीकता से कहा : “जान भी और जहान भी!”
मई 2020 में फैक्ट्रियों में उत्पादन आरम्भ होने लगा।
पाबन्दियाँ जारी रही। इधर फरवरी 2022 तक यह-वह पाबन्दी लागू रही।
● हम अपने उन मित्रों को पुनः धन्यवाद देते हैं जिन्होंने हमारे अड़ियलपन से पार पा कर दिसम्बर 2015 में फोन थमा कर मजदूर समाचार को ऑनलाइन कर ही दिया था। पाँच वर्ष में ही बड़ी सँख्या में फैक्ट्री मजदूर ऑनलाइन मजदूर समाचार के सम्पर्क में हो गये थे।
ऐसे में 23 मार्च 2020 से आरम्भ हुये लॉकडाउन मजदूर समाचार के लिये श्रेष्ठ दिनों का आगमन भी लाये।
— लॉकडाउन के समय व्हाट्सएप पर आराम से नोएडा, ओखला, गुड़गाँव, मानेसर, फरीदाबाद तथा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के फैक्ट्री मजदूरों से आदान-प्रदान आरम्भ हुये।
— ईमेल्स द्वारा दुनिया-भर में सम्पर्कों के साथ आदान-प्रदान के लिये पर्याप्त समय तथा ऊर्जा।
— और, फैक्ट्री मजदूरों के अनुभवों तथा विचारों पर मनन-मन्थन के अनुकूल समय। चालीस वर्ष के दौरान की कई बातें मन-मस्तिष्क से बार-बार गुजरी।
● इन दो वर्षों की अवधि में मजदूर समाचार यह पुस्तकें प्रकाशित कर सका है :
- मजदूर समाचार पुस्तिका एक (मार्च 2020, 43 पन्ने)
- A Glimpse of Social Churnings (September 2020, 50 pages)
- मार्च-आरम्भ से अक्टूबर-आरम्भ के दौरान व्हाट्सएप पर मजदूर समाचार (नवम्बर 2020, 180 पन्ने)
- सतरंगी : कालखण्ड जनवरी 2010 से फरवरी 2020 (अप्रैल 2021, 625 पन्ने)
- इस जीवंत समय में निकट भविष्य की एक कल्पना (अक्टूबर 2021, 130 पन्ने)
- Fragments & Pathways For Imagining a Near Future (November 2021, 200 pages)
- पाँच-सात से बीस-पच्चीस के बीच बातचीत के लिये कुछ सामग्री (फरवरी 2022, दस पन्ने)
● आज सुबह फरीदाबाद में मुजेसर फाटक पर मजदूर समाचार की पुस्तकों के साथ फैक्ट्री मजदूरों के बीच जाना हमारे लिये एक नये का आरम्भ है।
“इतने दिन बाद मिलने” जैसी बातें हुई। कुछ पुस्तकें योगदान के साथ ली गई। अच्छा लगा।
हाँ, दो घण्टे खड़े रहने ने बाद में थकावट प्रकट की।