ईवीएम मशीन पर लगातार उठते सवालों का निराकरण ज़रूरी

दैनिक समाचार

ईवीएम की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन गोदी मीडिया तो छोड़िए सोशल मीडिया पर भी इसकी कोई चर्चा नही हो रही है!!
EVM और VVPAT पर ताजा खुलासे पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने किए हैं, कन्नन ने 2019 लोकसभा चुनाव को बेहद नजदीक से देखा था कन्नन उस चुनाव में चुनाव अधिकारी थे, पद पर रहते हुए उन्होंने EVM से जुड़ी प्रक्रियादो बार इस पर सवाल उठाया था.उनके दावे इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योकि उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है

कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम को लेकर जो खुलासे किए हैं, उनसे चुनाव आयोग के दावों पर सवालिया निशान लग गया है चुनाव आयोग कहता है कि ईवीएम एक स्डैंडअलोन मशीन है, जिसे किसी बाहरी मशीन (external device) से नहीं जोड़ा जाता। ……….कन्नन गोपीनाथ ने जो अब जानकारियां दी हैं, उनसे आयोग का यह दावा संदेह के दायरे में आ गया है

कन्नन ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा करता है कि VVPAT और EVM के साथ किसी एक्सटर्नल डिवाइस यानी बाहरी मशीन को जोड़ा नहीं जाता। लेकिन कन्नन ने ईवीएम और VVPAT बनाने वाली कंपनी BEL के मैनुअल के हवाले से बताया है कि VVPAT को शुरू करने के लिए बाहरी लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत होती है। कन्नन ने पूछा है कि अगर VVPAT स्टैंडअलोन डिवाइस है तो उसकी कमीशनिंग के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

गोपीनाथन ने बताया है कि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के ज़रिए EVM और VVPAT पर उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिन्हों को लोड करने के लिए लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाता है।

गोपीनाथन ने बुधवार को ट्वीट किया, “यदि आप तकनीकी विशेषज्ञ समिति के इन चार प्रोफेसरों में से किसी को जानते हैं, तो उनसे पूछें कि ईवीएम पर किसी भी बाहरी डिवाइस से कनेक्ट नहीं होने पर उम्मीदवारों का नाम और प्रतीक ईवीएम पर कैसे लोड किया जाता है।

कन्नन का कहना है कि चुनाव आयोग दावा करता है कि ये मशीनें BEL / ECIL द्वारा बनाई जाती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि बीईएल की ई-प्रोक्योरमेंट साइट पर मशीन की पीसीबी समेत कई कंपोनेंट के लिए टेंडर मंगाए गए हैं। कन्नन ने सवाल उठाया है कि अगर उपकरणों का निर्माण BEL/ECIL द्वारा किया जाता है, तो पीसीबी के लिए टेंडर क्यों आमंत्रित किए गए?

गोपीनाथन कन्नन ने इन सभी सवालों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं गलत हूं तो मुझे जवाब देने और गलत साबित करने की ज़िम्मेदारी आपकी है, ताकि मैं भ्रामक जानकारी न फैला सकूं। और अगर मेरी बात में सच्चाई है, तो इसे संज्ञान में लेकर सुधार करना भी आपकी जिम्मेदारी है।

इतने महत्वपूर्ण सवालों पर मीडिया और चुनाव आयोग की खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है

गिरीश मालवीय रिबोर्न

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