29 मार्च को समराला चौक पर लुधियाणा के मज़दूरों के रोष प्रदर्शन में पहुँचने की अपील
17 मार्च 2022, लुधियाणा। देशव्यापी हड़ताल के आह्वान के तहत मज़दूरों के ट्रेड यूनियन संगठनों के नेतृत्व में 28 और 29 मार्च को भारत के कोने-कोने में करोड़ों मज़दूर अपनी माँग-मसलों के हल के लिए सड़कों पर उतरेंगे। टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, कारखाना मज़दूर यूनियन, लोक एकता संगठन और आजाद हिंद निर्माण मज़दूर यूनियन पंजाब द्वारा इस हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया गया है।
संगठनों ने लुधियाणा के मज़दूरों को बड़ी से बड़ी संख्या में शामिल होकर देश व्यापी हड़ताल को कामयाब बनाने का आह्वान किया है। संगठनों द्वारा 29 मार्च को लुधियाणा के समराला चौक पर 11 बजे रोष प्रदर्शन करके अपनी माँगों के लिए आवाज उठाई जाएगी। यह जानकारी आज संगठनों द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।
संगठनों का कहना है कि पिछले समय में केंद्र की मोदी हुकूमत और अन्य विभिन्न पार्टियों की सरकारों ने घोर मज़दूर विरोधी और देशी-विदेशी कार्पोरेटों और अन्य पूँजीपतियों के पक्ष की आर्थिक नीतियाँ लागू की हैं। मेहनतकश जनता को गरीबी-बदहाली में और अधिक धकेला है। जनवादी अधिकारों पर राजनीतिक हमला तेज़ किया है। साम्रादायिक-फासीवाद तेज़ी से आगे बढ़ा है।
लुधियाणा के इन मज़दूर संगठनों द्वारा एक संयुक्त माँग पत्र जारी किया गया है जिसमें नीचे दी गई माँगें शामिल हैं –
- आठ घंटे कार्यदिवस का मासिक न्यूनतम वेतन 25 हज़ार रुपए हो। पीसरेट, दिहाड़ी भी इसी हिसाब से तय हो।
- चार नए श्रम क़ानून (कोड) रद्द किए जाएँ। मज़दूरों के छीने गए क़ानूनी श्रम अधिकार बहाल हों। श्रम क़ानूनों को मज़दूरों के पक्ष में मज़बूत बनाया जाए। क़ानूनी श्रम अधिकारों को लागू करवाने के लिए सख़्त क़दम उठाए जाएँ।
- कारखानों, खदानों, निर्माण आदि सभी कार्यस्थलों पर मज़दूरों की हादसों और बीमारियों से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएँ। हादसा होने पर उचित मुआवजे की गारंटी हो। दोषी पूँजीपतियों को सख्त से सख्त सजाएँ मिलें।
- स्त्री मज़दूरों को समान काम का समान वेतन मिले। उनके साथ हर तरह का उत्पीड़न बंद हो।
- सभी मज़दूरों के पक्के रोजगार की गारंटी हो। ठेका व्यवस्था का पूर्ण खात्मा हो।
- राशन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार किया जाए। सभी मज़दूरों-मेहनतकशों के राशन कार्ड बनाए जाएँ। राशन डिपुओं पर सभी ख़ुराकी वस्तुएँ मिलें।
- महँगाई पर तुरंत क़ाबू पाया जाए। जमाखोरी-कालाबाज़ारी बंद हो।
- सरकारी उपक्रमों-संस्थानों का निजीकरण तुरंत बंद किया जाए। सरकार द्वारा मेहनतकश जनता को बेहतर शिक्षा, दवा-इलाज, रिहायश, बिजली, परिवहन आदि बुनियादी सुविधाएँ मुफ़्त दी जाएँ। इन जरूरतों संबंधी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए सरकारी संस्थानों-उपक्रमों का जरूरी ढाँचा खड़ा किया जाए।
- बेरोज़गारी का पूर्ण तौर पर ख़ात्मा हो। सरकार द्वारा सम्मानजनक रोज़गार की गारंटी की जाए। रोज़गार न मिलने पर न्यूनतम वेतन के बराबर बेरोज़गारी भत्ता मिले।
- सभी मज़दूरों, ग़रीब किसानों और अन्य ग़रीब मेहनतकशों पर लदा सारा सरकारी-ग़ैर-सरकारी क़र्ज़ रद्द हो। उन्हें सरकार द्वारा लंबे अरसे के लिए बिना ब्याज़ के क़र्ज़ मिले।
- मज़दूरों-मेहनतकशों को सहूलतें देने के लिए सरकार अमीरों पर आमदनी के मुताबिक़ टेक्स लगाए। जनता पर बोझ अप्रत्यक्ष करों (जैसे कि जी.एस.टी., सेस आदि) को ख़त्म किया जाए।
- बिजली संशोधन क़ानून का प्रस्ताव रद्द किया जाए।
- देशी-विदेशी कार्पोरेटों और अन्य पूँजीपतियों के पक्ष में लागू की जा रहीं मज़दूर-मेहनतकश विरोधी वैश्वीकरण-उदारीकरण-निजीकरण की नीतियाँ रद्द हों।
- भारत में मौजूद तमाम राष्ट्रीयताओं का उत्पीड़न बंद हो। मोदी हुकूमत द्वारा भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड से पंजाब की नुमाइंदगी खत्म करने का फैसला तुरंत रद्द हो।
- लैंगिक, जाति आधारित उत्पीड़न बंद हो। धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बंद हो।
- जनता के जनवादी अधिकारों का हनन बंद। यूएपीए, अफसपा, ‘सरकारी और निजी जायदाद नुक़सान रोकथान कानून, पंजाब’ समेत तमाम दमनकारी कानून रद्द हों। दमनकारी कानूनों के तहत जेलों में बंद जनवादी अधिकार कार्यकर्ता, बुद्धिजीवि, पत्रकारों को रिहा किया जाए।