बहुजन समाज के अधिवक्ता चुप क्यों है ? ? ? ? ?

दैनिक समाचार


संविधान को अगर कोई सबसे बेहतर तरीके से समझता हैं और उसको धरातल पर लागू करवाने में सक्षम है तो वो सिर्फ अधिवक्ता हैं। जिला अदालत से लेकर हाई कोर्ट व देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक मे अगर कोई बोल सकता है , अपने तर्क रख सकता है तो वो सिर्फ अधिवक्ता हैं।
देश की जेलों में सर्वाधिक संख्या में विचाराधीन और सजायाफ्ता के रूप में बहुजन समाज के लोग बंद हैं। इस गंभीर मुद्दे पर बहुजन समाज के अधिवक्ता चुप हैं।
देश में हर वर्ष सर्वाधिक हत्या और बलात्कार के मामले मे पीड़ित बहुजन समाज हैं लेकिन इस अमानवीय अत्याचार के मुद्दे पर भी बहुजन समाज के अधिवक्ता चुप है।
मनुवादी सरकार हर रोज संविधान के खिलाफ नये नये कानून लागू कर रही हैं जो बहुजन समाज के लिए सर्वाधिक घातक है लेकिन बहुजन समाज के अधिवक्ता सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी चुप है।
ऐसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों की लंबी फेरिस्त हैं । समाज के अधिवक्ता की हालत उन जन प्रतिनिधि जैसी है जो सत्ता के सिंहासन पर आरक्षित सीटों के कारण विराजमान होते हैं लेकिन इनकी पूरी निष्ठा, समपर्ण, वफादारी मनुवादी पार्टियों की प्रति होती है। अधिवक्ता सिस्टम को रेगुलेट करने वाली पोजिशन हैं काश बहुजन समाज के अधिवक्ता इस सिस्टम को बदलने के लिए अपनी आवाज बुलंद कर पाते।काश बहुजन समाज के अधिवक्ता अपने ज़मीर को जिंदा कर पाते ।
एडवोकेट राजेश चौधरी
बरेली यूपी
एमकॉम , एम ए ( ह्यूमन राइट्स ) एलएलबी मो 09719993399
शिक्षा का अर्थ सिर्फ दुनिया को समझना नहीं वरन दुनिया को बदलना भी हैं। ✍️

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