कौन कहता है
अब द्रोणाचार्य नहीं रहे ?
यह कहना झूठ है,
सच से परे है !
कल वे राजा महाराजाओं की सेवा करते थे !
आज समय की मांग के अनुसार
पुराना चोला त्यागकर !
अंगूठा काटना छोड़कर !
आधुनिक मनुवादियों की शरण में चले गए हैं !
अब वे पुराने वस्त्र नहीं पहनते
आजकल वे सूट बूट पहनते हैं
टाई लगाकर रहते हैं !
अब उन्होंने नई वेशभूषा धारण कर ली है !
द्रोणाचार्य आज भी मौजूद हैं,
अब वे स्कूलों, कालिजों,
पढ़ाई के क्षेत्रों, विश्वविद्यालयों,
ट्यूशन पाइंटों में मौजूद हैं !
अब वे अंगूठा नहीं काटते !
अब वे एडमिशन लेने से रोकते हैं !
अंक काटते हैं !
नंबर नहीं देते !
अब वे एडमिशन नहीं करते
वेकैंसी नहीं निकालते !
सीट नहीं भरते !
रोजगार छीनते हैं !
अब उन्होंने रूप रंग बदल लिया है !
अब वे मिड डे मील बेचते हैं !
स्कूलों में पढ़ाते नहीं !
ड्यूटी के दौरान व्यापार करते हैं !
कौन कहता है द्रोणाचार्य
अब मौजूद नहीं हैं ?
वे आज भी स्कूल और विद्यालयों में
महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में
हर जगह हजारों-लाखों की संख्या में आज भी मौजूद हैं !????✍️
Rajendra Tripathi