भोपाल। साम्प्रदायिक तनाव के सात दिन बाद भी जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं को खरगोन जाने और प्रभावित पक्षों से बात करने से रोका जा रहा है। यह सिर्फ प्रशासन और सरकार की तानाशाहीपूर्ण हरकतों का ही प्रमाण नहीं है, बल्कि यह भी साफ होता है कि सरकार अपने अपराधों को छिपाने की कोशिश कर रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि सरकार ने यदि निष्पक्षता और पारदर्शी ढंग से विवाद को नियंत्रित करने की कोशिश की है तो फिर वह जनप्रतिनिधियों को खरगोन जाने से क्यों रोक रही है?
माकपा ने कहा है कि खरगोन जाने वाले लोग समाज के जिम्मेदार नागरिक हैं, जो वहां पहुंच कर प्रभावितों से मिलकर समाज में अविश्वास की खाई को खत्म करने की कोशिश करेंगे। मगर संघ के नियंत्रण में उसी के एजेंडे को लागू करने वाली शिवराज सिंह चौहान सरकार की दिलचश्पी शांति या साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित करना नहीं, बल्कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा कर सत्ता को बनाए रखने में है।
माकपा ने प्रदेश के सभी धर्मनिरपेक्ष दलों, सामाजिक संगठनों से एकजुट होकर शिवराज सरकार की जनविरोधी व साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की साजिशों को नाकाम करने की अपील की है।
जसविंदर सिंह
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