समाजवादियों की अपनी यात्रा में अविश्वास की झलक

दैनिक समाचार

द्वारा : अरुण सिंह

समाजवादियों की अपनी यात्रा में आज तक एक दूसरे प्रति आपसी अविश्वास की झलक मिलती है. यही बात कांग्रेसा के लिए भी कही जा सकती है.

कम्युनिस्टों के साथ कांग्रेस के रिश्तों को मापने के लिए कोई इस उदाहरण को देख सकता है- ऑल इंडिया स्टुडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का गठन 1936 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था.

हालाँकि आने वाले वर्षों में उनके संबंधों में खटास आ गई थी. इसी दौर में न केवल छात्र संगठन की स्थापना हुई बल्कि महिला यूनियन, रैडिकल यूथ यूनियन और अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ का गठन भी हुआ.

1943 में ही इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) का गठन किया गया. इस नाट्य समूह से मुल्कराज आनंद, कैफी आज़मी, पृथ्वीराज कपूर, बलराज साहनी, ऋत्वक घटक, उत्पल दत्त, सलिल चौधरी जैसी साहित्यिक और सांस्कृतिक हस्तिया जुड़ी हुई थीं. इन सबका सिनेमा के शुरुआती दौर में बहुत प्रभाव था.

वहीं दूसरी ओर, सुंदरैया, चंद्रा राजेश्वरा राव और नंबूदरीपाद जैसे नेताओं के नेतृत्व में सामाजिक आर्थिक आंदोलन को आगे बढ़ाया गया. सुंदरैया और नंबूदरीपाद पर गांधी का असर था और यह उनकी जीवनशैली और कामकाजी शैली से भी जाहिर होता है.

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