धर्म संसद पर कुछ सवाल

दैनिक समाचार

धर्मसंसद में भड़काऊ भाषण देने के बाद जब यति,साध्वी, साधु , धर्मदास इत्यादि भाषण के असर की विवेचना करने बैठे तो उन्होंने आपस में सवाल किया कि आखिर मुसलमानों के खिलाफ लड़ेगा कौन??

 किसी ने कहा कि ब्राह्मण लड़ेगा तो किसी ने जवाब दिया कि ब्राह्मण क्यों लड़ेगा? ब्राह्मण क्यों अपने हाथ गंदे करेगा? ब्राह्मण तो दिशा दिखाता है। ब्राह्मण के बच्चे नौकरी चाकरी कर रहे हैं। अच्छे अच्छे यूनिवर्सिटीज में जा रहे हैं। विदेशों में बस रहे हैं। जो कुछ नहीं कर पा रहे हैं वो मंदिरों में पुजारी, गुफाओं में बाबा बने जा रहे हैं,और मजे से फ्री का खा रहे हैं। फ्री कहाँ हैं कोई। और क्यों करें दंगा?? अपने बच्चों को कोई दंगाई बनाता है भला ? 

     फिर किसी ने कहा कि राजपूत (क्षत्रिय) करेंगे दंगा और लड़ेंगे मुसलमानों के खिलाफ। 

किसी ने चुटकी ली हाँ, खूब लड़ लिया है। सारा इतिहास भरा पड़ा है रिश्तेदारियों से। इस पर उनपर आपस में ही तू तू मैं मैं होने लगी और ये भी असफल रहे।

            फिर किसी ने कहा कि वैश्य लोग लड़ेंगे। उनका भी स्वर्णिम इतिहास रहा है। सभी वैश्य अपने को पुराने क्षत्रिय बताते हैं और तलवार भाला से लड़ने का दावा करते हैं। इस पर वैश्यों ने कहा कि वो अपने व्यापार से फ्री नहीं हैं। उनका धंधा पानी चौपट हो जाता है। उन्हें भी पढ़ लिखकर आगे निकलना है। उनके भी बच्चों को विदेश में सेटल होना है। सीईओ, सीएफओ, एमडी बनना है गूगल, ट्विटर ,ऐमज़ॉन, टेस्ला आदि का। वो नहीं लड़ेंगे।

           इसी तरह खत्रियों, कायस्थों, भूमिहारों ने भी अपनी अपनी अनिच्छा दिखा दी। 

           फिर गहन चिंतन हुआ। इन लोगों ने मिलकर मसला हल किया कि "शूद्रों और अश्पृश्यों ( पिछड़ा , दलित, आदिवासी) को हिन्दू बना देते हैं और उनसे ही ये काम (दंगा, नरसंहार, हत्या, लूट, ब्लात्कार) करवा लेते हैं। हम उनका नेतृत्व करेंगे और उलझाकर साइड से कट लेंगे। हम उन्हें महान हिन्दू होने का विश्वास कराएंगे। उनके आराध्यों का वास्ता देंगे। उन्हें किसी न किसी भगवान के वंशज होने से जोड़ेंगे। उन्हें ये एहसास दिलाएंगे कि तुम लोगों को शूद्र तथा अछूत हमारे पूर्वजों ने नहीं बनाया और न ही इस पर कोई ग्रंथ, किताब लिखा।" हमारे पूर्वजों ने इसीलिये इनको पढ़ने से मना कर रखा है. ये क्या समझेंगे गवांर कहीं के. ये सब अंग्रेजों, मुसलमानों ने किया और बनाया. ऐसे बतायेंगे. हम पर विश्वास करने के अलावा कोई चारा भी नहीं है इनके पास.  सभी सवर्ण जातियाँ इसपर सहमत हुईं। 

        बेअकली अनपढ पिछडा वर्ग के लोग सवर्णो के बहकावे में आकर, "हम हिन्दू हैं, हिन्दू हैं...

कहकर गर्व करने लगे. इनको अभी तक पता ही नहीं चल रहा है कि इनके साथ हो क्या रहा है! दंगे ,फसाद, बलात्कार के मामलों में हिन्दू के नाम पर पिछडों का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. अब पिछड़ा, दलित , आदिवासी नेतृत्वकर्ताओं के सामने मुद्दा ये है कि क्या वो हिन्दू बनकर सवर्ण हिंदुओं की साज़िशों का माध्यम बनेंगे औऱ अपने बच्चों को दंगाई, हत्यारा, बलात्कारी, लुटेरा ,अपराधी बनाएंगे या फिर अपनी बुनियादी जरूरतों जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, सम्मान, हक, समानता, भागीदारी के लिए लड़ेंगे।
सोचो, समझो।

पिछड़ा, दलित, आदिवासियों के हितों का दुश्मन कौन???

सवर्ण हिन्दू या मुसलमान???

       इसी सवाल के जवाब में देश का चौपट होता भविष्य तथा सुनहरा भविष्य ....दोनों का जवाब है।

(व्हाट्स ऐप से साभार)

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