द्वारा : इं. एस के वर्मा
यह बात कहने की हिम्मत किसी भी विपक्षी पार्टी में नहीं है कि मौजूदा सरकार बहुत ही चालाकी और कूटनीति से ईवीएम का सदुपयोग और दुरुपयोग कर रही है।
पश्चिम बंगाल हो या पंजाब दोनों मे जानबूझकर इसलिए हार स्वीकार की है, क्योंकि यदि इन दोनों में भी सरकार बना लेते तो देश ही दुनिया को भी ईवीएम की सेटिंग से मिली जीत पर संशय होना लाजिमी था।
चालाक, चोर गल्ला या अलमारी खुला देखकर भी पूरी रकम नहीं चुराता है, बल्कि कुछ न कम रकम छोड़ भी देता है, ताकि मालिक को चोरी होने या चोर पर शक भी न हो, क्योंकि वह समझेगा कि चोर यदि चोरी करता तो पूरा ही चोरी कर लेता!
इसलिए वह अपने दिमाग के घोडे दौड़ाता रहता है कि आखिर हिसाब किताब में कहां गड़बड़ी हुई है, चोर पर शक जरा भी नहीं जाता है।
बस ऐसा ही कुछ योजनाबद्ध तरीके से ईवीएम के साथ भी खेल खेला जा रहा है तथा जनता की लोकतांत्रिक भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है।
हर सीट पर शुरुआती दौर में दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों की बढ़त दिखाकर सांत्वना दिलाने का काम किया जाता है और आखिरी दौर में बढ़त आखिरकार ईवीएम का खेला करके प्राप्त कर ली जाती है।
दो चार विधायक और सांसद इसीलिए जिताना बेहद जरूरी है, जिससे कि ईवीएम की सेटिंग पर से ध्यान भटका रहे।