दौलत की देवी

दैनिक समाचार

माया नाम है तो दौलत की देवी हो गयी!
जयललिता को कभी किसी ने दौलत की देवी का खिताब नहीं दिया?
दिवंगत सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी जैसी तमाम राजनैतिक शख्सियत हैं जिनके पास माया से भी अधिक संपत्ति थी/ है।
परन्तु बदनाम करने का भी एक तरीका होता है जो केवल जाति देखकर ही लागू होता है।
जैसे लालू यादव ने अकेले ही सारा चारा खा लिया उसके मंत्रिमंडल और सहयोगियो का उपवास चल रहा था अथवा उनको चारे से मिलने वाली रकम हजम नही होने के कारण खाने से परहेज़ था।
जबकि सच्चाई तो यह है कि कोई क भी राजनेता ऐसा नहीं है जिसके पास आय से अधिक संपत्ति न हो!
लेकिन उनके लिए कोई नहीं कहता न ही उनकी जांच लालू यादव की तरह होती है और न ही कोई जेल जाता है।
वर्तमान समय में सच्चे देशभक्त और ईमानदारी के प्रतीक जिन्होंने देश सेवा के लिए अपनी पत्नी और घर परिवार सबको त्याग दिया अर्थात विश्व के लोकप्रिय नेता और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी से अनुरोध पूर्वक निवेदन करते हैं कि मायावती की संपत्ति की भी जांच कराएं लेकिन नैतिकता तो यह कहती हैं कि वो वर्तमान समय में सत्ता में और पावर भी हासिल है तथा जनता को उनसे उम्मीद भी है।
इसलिए शुरुआत अपने मंत्रिमंडल से करें और छोड़ें किसी भी पार्टी के नेताओं को नहीं!
दूध का दूध और पानी का पानी होने में कोई ज्यादा वक्त नहीं लगेगा!
क्योंकि सत्ता में दो चार साल रहने वाले मंत्रियों के पास भी अरबों की चल अचल संपत्ति, कृषि फार्म, पेट्रोल पंप,आलीशान बड़ी बड़ी कोठियां (कई कई शहरों मे), फैक्ट्रियां और बैक बैलेंस इतना है कि सबकी जांच की जाए और आय से अधिक संपत्ति को राजकीय कोष में जमा किया जाए तो विश्व बैंक से लिया आधा कर्ज लौटाया जा सकता है।
दूसरी और सबसे अहम बात कि इन राजनेताओं को भी सरकारी कोष से ही वेतन, पेंशन और चिकित्सा तथा सुरक्षा जैसी तमाम सुविधाएं मिलती है फिर अन्य सरकारी कार्मिको की भांति ही आयकर के दायरे में जरुर लाना चाहिए!
आयकर के दायरे में आने के बाद सर साल नेताओ को भी अनाप शनाप तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति का ब्योरा आयकर विभाग को देना होगा इससे भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी, तथा समाजसेवा के नाम पर नेता बनने के बाद नेताओ को पेंशन किस बात की मिलती है?
जबकि पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों और निगमो में तैनात सरकारी नौकरी करने वाले कार्मिकों को 30 से 35 साल कुशलता पूर्वक सेवा करने के बाद भी पेंशन देने का कोई प्रावधान नहीं है! फिर नेताओं को एकबार शपथ ग्रहण करने के बाद अलग -२ पदों की तीन से भी अधिक पेंशन और सुविधाएं मरते दम क्यों बरकरार रहती है!
जबकि सरकारी नौकरी करने वाले के सेवानिवृत्त होने के बाद से बहुत सी सुविधाएं स्वत: ही मिलना बंद हो जाती है!
मगर क्या यशस्वी प्रधानमंत्री जी ऐसा आदेश कर सकेंगे?
शायद कभी नहीं!
क्योंकि अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को दें वाली कहावत मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के एकदम सटीक बैठती है।
बल्कि यह हकीकत भी जनता को पता चल ही चुकी है कि जो नेता दूसरी पार्टियों में रहते हुए दलाली, भ्रष्टाचार,घोटाले और रिश्वतखोर तथा अपराधिक मामले में दागी और दोषी नेता होते है, एक ही पार्टी ऐसी हो जो गंगा से भी अधिक पतित पावन और पाप दूर करने वाली है। एक बार ज्वाइन करते हैं उनके दाग किसी डिटर्जेंट की भांति पूरी तरह साफ होने में जरा भी वक्त नहीं लगता है।
इसलिए न्याय और पारदर्शिता की बात करना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री किसी पार्टी विशेष के नहीं बल्कि पूरे देश और 136करोड देशवासियों के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं।
और जनता को इनसे काफी उम्मीदें भी है कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का सफाया केवल हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री जी ही कर सकते हैं?
लेकिन सवाल इस बात का है कि उम्मीदे रखना अलग बात है किन्तु उम्मीदो और वादों पर खरा उतरना अलग बात!
माया हो अखिलेश, लालू यादव हो या राजनाथ, अथवा गडकरी हो शाह!
हमारे लिए सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। लेकिन जब तक सबकी जांच नहीं हो जाती किसी नेता विशेष को दौलत इक्ट्ठी करने का दोषी कैसे कहा जा सकता है?
यदि यें सब पाक साफ यानि ईमानदार और सच्चे देशभक्त है तो सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को खुद से अपनी संपत्ति की जांच कराने की पहल करनी चाहिए, ताकि दूसरी पार्टियों के नेताओं को उनकी संपत्ति की जांच कराने के लिए मजबूर किया जा सके!
आम जनता के टैक्स के पैसे और देश के संसाधनों से अर्जित आय को निजी संपत्ति में वृद्धि करने वाला हर नेता राष्ट्रद्रोही और जनता का दुश्मन जैसा है। हमें पूरा यकीन है कि यदि जांच निष्पक्षता और पारदर्शिता से की जाएगी तो जनता किसी भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज नेता का पक्ष नहीं लेगी।
लेकिन कहना अलग बात है और करना अलग बात!
खुद ही अपने को चौकीदार बताकर पचास से भी अधिक भगौडो को विदेश भगाने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
क्योंकि एअरपोर्ट की सिक्योरिटी तथा वीजा और पासपोर्ट नेहरू की आत्मा तो नहीं चैक करती है!
इसलिए ऐसी वीडियो बनाने वाले से निवेदन पूर्वक आग्रह है कि इस पर भी वीडियो जरूर बनाएं कि इन नेताओं की संपत्ति की जांच करके आयकर के दायरे में लाया जाए और इनकी पेंशन बंद होनी चाहिए! जब तक सत्ता में रहें तब तक सुविधाएं मिलना उचित है लेकिन सत्ता में न रहने के बाद भी सुरक्षा और सुविधाओ का बोझ जनता की जेब पर डालना कहां का न्याय है?

(साभार)

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