EVM से चुनाव, वोट देने की गोपनीयता का उलंघन अर्थात् असंवैधानिक है

दैनिक समाचार

द्वारा : शिव शंकर सिंह यादव

EVM से चुनाव कराने को लेकर कई सालों से विरोधाभास जारी है कि, उसकी तकनीकी हैकिंग करके या मशीन में छेड़खानी करके वोटो को प्रभावित किया जा सकता है। जिसे आज के टेक्नोलॉजी युग में नकारा नही जा सकता है। इसी कारण से विश्व के कई प्रगतिशील देशों में EVM से चुनाव बन्द कर दिया गया है।

इसी आधार पर EVM की अविश्वसनीयता को लेकर करीब करीब भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलो नें काफी शोर मचाया। कुछ लोग कोर्ट तक का भी दरवाजा खटखटाये, लेकिन भाजपा की हेकड़ी, दादागिरी और ब्लैकमेलिंग के सामने सभी फेल हो गए।

EVM से चुनाव कराने का सिर्फ भारत के लिए सबसे डरावना, खतरनाक, असंवैधानिक पहलू यह है कि वोट देने के गोपनीयता के कानून का उल्लंघन होता है।

मान लीजिए कोई गांव सिर्फ यादव बस्ती, चमार बस्ती, बिन्द बस्ती या मुसलमान या ब्राह्मण ठाकुर की ही बस्ती है । वोट देने के बाद काउंटी के समय या रिजल्ट आने पर तुरंत मालूम पड़ जाता है कि, चमार गांव है तो सभी भोट पता चला बसपा को गया। या यादव बस्ती का सपा को या ब्राह्मण बस्ती का भाजपा को। यदि जीतने वाले के बिरोध में वोट गया है तो उस गांव के लोगो के लिए शामत आती है या सबक सिखाया जाता है। या उस गांव की प्रगति की अवहेलना की जाती है।

यह यहीं तक सीमित नहीं रहता है, वोट देने से पहले भी दबंग लोग ऐसे गांव में जाकर धमकाकर कि, वोट किसको दिया है, हमें चुनाव के बाद मालूम पड़ जाएगा, यदि मैं यहां से हारा तो किसी को छोड़ूंगा नहीं ।
इस EVM के चुनाव के आतंक से कई गांव और वहां के रहवासी प्रभावित हुए है और मैने देखा और अनुभव भी किया है।

बैलट पेपर से चुनाव होने पर, सभी बाक्स को खोलकर पहले मिक्सिंग की जाती थी, उसके बाद काउंटिंग की जाती थी। इस तरह गोपनीयता बरकरार रहती थी, जो EVM से पासिवुल नहीं है।

यही कारण है कि जब से EVM से चुनाव हो रहे है, तबसे राजनीतिक दुश्मनी काफी बढ़ी है, राजनीतिक हत्याएं भी काफी हो रही है और पैसे से वोटों को प्रभावित भी किया जा रहा है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इससे भाजपा को फायदा हो रहा है।

एक उदाहरण देना उचित होगा। गाजीपुर जिले का एक बड़ा गांव सेन्दुरा (दिलदार नगर) है। उस गांव मे ब्राह्मण एक भी नही है, एक ही घर क्षत्रिय है । बाकी सब बहुतायत में यादव, कोईरी, बिन्द, चमार, मुशहर तथा कुछ मुसलमान है, और सबकी बस्ती भी अलग अलग है । वहां सबको हर चुनाव मे मालूम पड़ जाता है कि, कौन किसको वोट दिया है।

यदि सही में इमानदारी से EVM का विरोध करना है तो, वोट देने की गोपनीयता का उल्लंघन के आधार पर कानूनी लड़ाई लड़ी जा सकती है और सफलता भी मिल सकती है।

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