आप सभ्य लोग जिसको अरेंज मैरिज कहते हैं , असल मे वो मुझे क्रूर सामाजिक समझौता लगता है….

दैनिक समाचार

कोई लड़की सिर्फ किसी लड़के के साथ इसलिए कैसे विवाह कर सकती है कि उसकी सरकारी नौकरी है…… या कोई लड़का किसी लड़की से सिर्फ इसलिए कैसे विवाह कर सकता है कि वो सुंदर है और मोटा दहेज लेकर आयी है…

जिस विवाह मे प्रेम ही न हो वो असल मे विवाह है ही नही…. वो तो रीति-रिवाजों से युक्त वैश्यावृत्ति है….

कैसा समाज बना दिया है हमने कि तुम मुझे सुरक्षा, पैसा और मकान दो… बदले मे मैं तुम्हारा वंश आगे बढ़ाउंगी, खाना पकाउन्गी, कपड़े धोउँगी……
आज फिर भी स्थिति पहले से बेहतर है…..
पर आश्चर्यचकित करने वाली बात ये है कि कभी स्त्री कभी किसी बुद्धिजीवी ने इस व्यवस्था पर सवाल कैसे नही उठाये………

कितनी दमघोंटू सामाजिक व्यवस्था है न….
ऐसी व्यवस्था जिसमे सदियों से किसी का ध्यान मैरिटल रेप जैसे अपराध की ओर नही गया…..
आखिर क्यों…..
क्यो पत्नी के इंकार को सिरे से नकार दिया न्यायशास्त्र के पुरोधाओं ने…..?

क्यों?
आभा शुक्ला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *