संपूर्ण जिला प्रशासन और सरकार कठघरे में है: पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का किया ऐलान
लखनऊ-24 मई 2022, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश के नेत्रत्व में आज सुबह एक व्यापक प्रतिनिधिमंडल बदायूं जनपद के ग्राम रसूलपुर पहुंचा जहां के एक गरीब खेतिहर मजदूरर/ सीमांत किसान क्रष्णपाल ने गांव के कुछ मनबड़ों की प्रताड़ना और पुलिस प्रशासन की मुजरिमाना उपेक्षा से पश्त- हिम्मत होकर गत 18 मई को जिला मुख्यालय पर पुलिस के शीर्षस्थ अधिकारियों की आँखों के सामने आत्मदाह कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी।
प्रतिनिधिमंडल में राज्य सचिव के साथ राज्य सहसचिव का॰ अरविंद राज स्वरूप, जिला सचिव का॰ रघुराज, जिला सहसचिव का॰ प्रेम पाल सिंह, वरिष्ठ नेता राकेश सिंह, राजेन्द्र सिंह और राजेश कुमार सक्सेना (भाकियू) आदि दर्जनो साथी शामिल थे।
यद्यपि समाचार पत्रों ने इस लोमहर्षक कांड की खबर प्रकाशित की और हम उनके शुक्रगुजार हैं कि उनकी खबर के आधार पर ही हम पीड़ित परिवार तक पहुंचे, लेकिन प्रकरण की भयावहता वहां पहुँचने, म्रतक के परिवार की दारुण दास्तान सुनने और मौके पर मौजूद हुये ग्रामीणों से बात करने पर ही पता लगी। सारा प्रकरण आजादी के इस अम्रत महोत्सव वर्ष में भी गरीब व साधनविहीन आदमी की लाचारी और दुर्दशा तथा सिस्टम और सरकार की आम आदमी के सरोकारों के प्रति संवेदनहीनता की करुण कहानी कहता है।
घटनाक्रम के अनुसार गरीब क्रष्णपाल मजदूरी करके और बटायी पर जमीन लेकर खेती पाती कर अपना और परिवार का जीवनयापन करते थे। गत 23 अप्रैल को गांव के ही कुछ मनबड़ों ने बटायी की खेती से पैदा हुयी उनकी गेहूं की फसल में खलिहान में आग लगा दी। आग लगाने की खबर मिलने पर वह अपने बेटों के साथ जब खलिहान पहुंचे तो आग लगाने वालों को जाते हुये देख लिया। उन्होने आग लगाने वालों के खिलाफ मण्डी पुलिस चौकी में तहरीर दी पर उनकी एफ़आईआर दर्ज नहीं की गयी। उलटे, आरोपी उनकी मज़ाक बनाते और उन्हें धमकियाँ देते रहे।
18 मई तक पीड़ित क्रष्णपाल ने न्याय के लिये जिलाधिकारी से लेकर एसएसपी तक कहाँ कहाँ गुहार नहीं लगाई, लेकिन उसकी कहीं नहीं सुनी गयी। इस बीच आरोपियों ने उनकी और उनके बेटों की बुरी तरह पिटाई भी कर डाली और दोनों बेटों के सिर में अंदरूनी छीटें आयी हैं। गरीबी लाचारी और इलाज के अभाव में वे आज भी स्वस्थ होने की आशावादिता में जी रहे हैं।
म्रतक क्रष्णपाल ने प्रताड़ना और असुरक्षा से घबरा कर जिलाधिकारी और एसएसपी के सामने सशरीर उपस्थित होकर न केवल अपनी व्यथा बतायी अपितु उन्हें न्याय न मिलने पर आत्मदाह को मजबूर होने की चेतावनी दी, लेकिन सिस्टम फिर भी सोया रहा। घटना वाले दिन भी आत्मदाहकर्ता का पूरा परिवार उक्त दोनों अधिकारियों के पास न्याय की गुहार लेकर पहुंचा था। उनके बैरंग वापस लौटने पर और आरोपियों से क्षेत्रीय पुलिसकर्मियों से वार्तालाप होता देख क्रष्णपाल अंदर तक टूट गया और उसने एसएसपी कार्यालय के सामने चीख चीख कर अपनी वेदना व्यक्त करते हुये आत्मदाह कर लिया। पूरा पुलिस तंत्र खड़ा देखता रहा।
भाकपा प्रतिनिधिमंडल जब आज सुबह गांव पहुंचा तो गांव में सन्नाटा पसरा पड़ा था। कुछ लोगों ने उन्हें एक छोटे से दड़वे नुमा घर के पास ले जाकर खड़ा कर दिया। घर में बैठ कर बात करने लायक जगह भी नहीं थी। सबको सुखद आवास देने के दाबे करने वालों के थोथे दाबों की कलई खोल रहा था यह मकान। डरे सहमे और सिर की चोटों से व्यथित क्रष्णपाल के बेटों से उनके दरवाजे पर खड़े खड़े ही बात हो सकी। वे बमुश्किल बोल पा रहे थे, और सिर की चोट की वजह से उन्हें चक्कर और उलटियाँ आ रहीं थीं।
पता चला कि आरोपियों ने पुलिस की साठगांठ से पीड़ितों के खिलाफ क्रास एफ़आईआर भी दर्ज करा दी है। बमुश्किल एक बेटे का सीटी स्कैन कराया गया है, दूसरे को अभी तक इलाज नहीं मिला। कोई आर्थिक सहायता भी उपलब्ध नहीं करायी गयी। सारा परिवार न्याय दिलाने की गुहार कर रहा था। हम सभी ने उन्हें आश्वस्त किया कि भाकपा किसान मजदूर गरीबों के हितों के लिये आवाज उठाने वाली पार्टी है और वह उन्हें न्याय दिला कर रहेगी।
वहां मौके पर मौजूद अनेक ग्रामीण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का नाम तक नहीं जानते थे। उन्होने कहा कि 6 दिन बीत जाने के बाद भी उन पार्टियों का कोई नेता उनकी पीड़ा सुनने नहीं आया जो चुनावों के वक्त हमसे बड़े बड़े वायदे कर जाते हैं और जिन्हें हम अक्सर वोट दिया करते हैं।
दिल दिमाग को झकझोरने वाली यह करुण कहानी उस दौर की है जिसमें शासकगण रामराज्य लाने का दाबा करते हैं, बुलडोजर से न्याय दिलाने का प्रपोगंडा करते हैं और औरंगज़ेब को क्रूर बता कर अपनी क्रूरता और संवेदनहीनता को ढाँपने का असफल प्रयास करते हैं।
भाकपा राज्य नेत्रत्व ने राज्य सरकार से मांग की है कि सभी आरोपियों पर कठोर धाराएँ लगाई जायें, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा की सीढ़ी तक पहुंचाया जाये, पीड़ित परिवार के विरूध्द दर्ज कराई गयी एफ़आईआर रद्द की जाये, बदायूं के अकर्मण्य और संवेदनाशून्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये, म्रतक परिवार को रुपए 50 लाख बतौर कंपेन्शेसन और घायल बेटों के इलाज के लिये रुपये 10 लाख की राशि आबंटित की जाये।
आज ही भाकपा के जिला प्रतिनिधिमंडल ने उपर्युक्त मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को संबोधित जिलाधिकारी कार्यालय को सौंपा।
भाकपा ने चेतावनी दी कि गरीबों और मेहनतकशों की तबाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और उत्तर प्रदेश में गरीबों- कमजोरों पर होरहे अत्याचारों, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पुलिसराज और बुलडोजरवाद के खिलाफ सभी वामपंथी दलों के साथ मिल कर 25 मई से अभियान चलाया जायेगा और 31 मई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किये जायेंगे।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश