भारत के लोकतंत्र को लेकर फिर उठे वैश्विक सवाल

दैनिक समाचार

द्वारा : आभा शुक्ला

चंद बुद्धिहीन सांप्रदायिक लोगों को खुश करने के चक्कर में जुबैर को गिरफ्तार करवाने के कारण भारत और भारत के लोकतंत्र पर एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर सवाल उठे हैं… इस बार सवाल उठाए हैं जर्मनी ने…

जर्मनी ने जुबैर की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि “भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता है…इसलिए कोई भी उम्मीद कर सकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को वहां आवश्यक स्थान दिया जाएगा…जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिश्चियन वैगनर ने कहा, “हम अक्सर दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी पर जोर देते हैं और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध हैं…यह बहुत जरूरी है और यह भारत पर भी लागू होता है…किसी भी समाज के लिए यह जरूरी है कि वहां बिना किसी रोक-टोक और दबाव के पत्रकारिता हो लेकिन ऐसा नहीं हो पाना, चिंता का कारण है…” उन्होंने कहा, “पत्रकारों का उनकी पत्रकारिता के लिए उत्पीड़न नहीं होना चाहिए और ना ही इसके लिए उन्हें जेल में डाला जाना चाहिए…हम पत्रकार मोहम्मद जुबैर के मामले से वाकिफ हैं…नई दिल्ली में हमारा दूतावास इस मामले पर करीब से नजर रखे हुए है…”

सारे मसले की जड़ बस वही नुपुर शर्मा वाला मामला है… मुझे तो समझ में नही आता दो भाजपाई चिल्लरों की वजह से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी कितनी भद्द पिटनी बाकी है… भाजपा सरकार ने अपने दो फ्रिंज एलिमेंट के चक्कर में देश की कितनी नाक कटाई ये सोचकर मुझे शर्म आती है… चलो मान लिया भारत में मुसलमान गलत है… वामपंथी और कांग्रेसी भी गलत हैं… तो क्या अब 57 मुस्लिम राष्ट्र भी गलत है… जर्मनी भी गलत है… तो सही कौन है… बस एक नरेंदर मोदी,अमित शाह और उनके दो चार फ्रिंज एलिमेंट… है न… सब गलत हैं बस हाफ पैंट वाले सही हैं पूरी दुनिया में… हद है भाई…

और हां, जो लोग ये तर्क दे रहे हैं कि जर्मनी को क्या जरूरत है भारत के घरेलू मामले में बोलने की… उनको बता दूं कि घर का मामला जब सड़क पर आ जाता है तो वो मामला निजी नही रहता… सार्वजनिक हो जाता है… वैसे मोदी जी को क्या जरूरत थी अमेरिका जाकर अबकी बार ट्रंप सरकार करने की… वो भी अमेरिकियों का घरेलू मामला था…इसलिए कुतर्क मत करो… गलत को गलत कहो…।

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