कृत्रिम उपग्रहों (सैटेलाइट) का निर्माण, पृथ्वी प्रेक्षण, अंतरिक्ष विज्ञान व ग्रहों की खोज, नई प्रेरक प्रौद्योगिकियां, सैटेलाइट डेटा साझा करना, मानव अंतरिक्ष उड़ान में सहायता भविष्य में सहभागिता के कुछ विशिष्ट क्षेत्र हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

दैनिक समाचार

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत संयुक्त परीक्षणों और विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए मंच बनाने के जरिए अधिक देशों के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान में सहभागिता और सहयोग के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है।

आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने बताया कि उपग्रहों के निर्माण, भू प्रेक्षण, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज के लिए वैज्ञानिक उपकरणों के विकास, नई प्रेरक प्रौद्योगिकियां, सैटेलाइट डेटा को साझा करना, मानव अंतरिक्ष उड़ान में सहायता, अंतरिक्ष स्थितिपरक जागरूकता, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में प्रशिक्षण व क्षमता संवर्धन कुछ ऐसे विशिष्ट क्षेत्र हैं, जिनमें आने वाले दिनों में सहभागिता व सहयोग की संभावना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार के तहत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) का गठन किया गया है। वहीं, इसरो राष्ट्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिशनों की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए नई प्रौद्योगिकियों के विकास, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकारी मिशनों के आयोजन, अपनी तरह के पहले उपग्रहों, अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों और मानव अंतरिक्ष उड़ानों पर ध्यान केंद्रित करेगा। दूसरी ओर, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईल) को परिचालानात्मक उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और सेवाओं की प्राप्ति की जिम्मेदारी दी गई है।

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