मेडिकल ऑक्सीजन एक आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य सामग्री है और संकटपूर्ण हालात में पर्याप्त मात्रा में इसकी निर्बाध आपूर्ति महामारी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है। इसे केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने रेखांकित किया। उन्होंने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक को संबोधित करते हुए मेडिकल ऑक्सीजन उपकरणों और प्रणालियों (पीएसए प्लांट्स, एलएमओ प्लांट्स, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम) के संबंध में स्थिति और उनकी तैयारियों की समीक्षा की।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सूचित किया गया कि केंद्र सरकार ने पीएसए संयंत्रों, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) संयंत्रों और मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम (एमजीपीएस) के लिए उपकरणों की उपलब्धता, तकनीकी और वित्तीय मदद के माध्यम से उनकी सहायता की है। राज्यों से अपील की गई कि वे रोजाना इनकी स्थिति की समीक्षा और निगरानी करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिलों को वितरित और स्वास्थ्य सुविधाओं में स्थापित उपकरणों और प्रणालियों के बीच का अंतर शून्य हो। उपकरण और प्रणालियों को स्वीकृत और वितरित किया गया है, कई राज्यों में इन्हें जिला स्वास्थ्य सुविधाओं में नहीं भेजा गया और जब वितरित किया गया तो कुछ को अभी तक क्रियाशील नहीं बनाया गया है।राज्य के नोडल अधिकारियों से अनुरोध किया गया कि बिजली से संबंधित और साइट संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड (एचआईटीईएस) और सेंट्रल मेडिकल सर्विसेज सोसाइटी (सीएमएसएस) आदि के साथ समन्वय को कारगर बनाकर उन्हें दी गई संपूर्ण चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति बुनियादी ढांचे का त्वरित संचालन सुनिश्चित करना चाहिए।
अब तक देश में विभिन्न स्रोतों से कुल 3783 एमटी (मीट्रिक टन) ऑक्सीजन क्षमता के साथ कुल 3236 पीएसए संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा राज्यों को पीएम केयर (1 लाख) और ईसीआरपी 2 (14000) के तहत 114000 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर दिए जा रहे हैं।
राज्यों को यह भी बताया गया कि 1374 अस्पतालों में 958 एलएमओ स्टोरेज टैंक और मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम स्थापित करने के लिए उन्हें ईसीआरपी 2 फंड मंजूर किया गया है। राज्यों को इस अवसर का उपयोग घरेलू ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता बढ़ाने और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा गैस पाइपलाइनों को शीघ्र पूरा करने, स्थापित करने और चालू करने को सुनिश्चित करने की सलाह दी गई।
राज्यों को जोर देकर कहा गया कि कि वे सभी स्थापित और चालू पीएसए संयंत्रों के मॉक ड्रिल का कार्यक्रम बनाकर उसे आयोजित करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे पूरी तरह से चालू स्थिति में हैं, ताकि आवश्यक मात्रा, दबाव और शुद्धता के साथ ऑक्सीजन रोगियों के बेड तक पहुंचे। इन अभ्यासों को दिसंबर 2021 के अंत तक पूरा किया जाना है। इस आशय की रिपोर्ट इन उपकरणों की क्रियाशील स्थिति की लाइव ट्रैकिंग और निगरानी के लिए नामित पोर्टलों के माध्यम से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जानी है। राज्यों से यह भी आग्रह किया गया कि वे लंबित ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट को पूरा करें और इसे दिसंबर 2021 के अंत तक नामित पोर्टल के माध्यम से जमा करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पीएसए संयंत्रों और अन्य चिकित्सा ऑक्सीजन से संबंधित बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव के लिए तकनीशियनों और चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाने और बनाने के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। जिन राज्यों ने अभी तक निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूरा नहीं किया है उन्हें जिला कौशल विकास परिषदों के समन्वय कर इसे तेजी से दिसंबर के अंत तक पूरा करने का आग्रह किया गया।
समीक्षा बैठक में डॉ. मनोहर अगनानी,अपर सचिव (एचएफडब्ल्यू), प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), मिशन निदेशक (एनएचएम) और सभी राज्यों के राज्य निगरानी अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें कोयला,बिजली, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।