- बीजेपी एमसीडी एनजीओ के माध्यम से अपने ही नेताओं को बेच रही ज़मीनें- दुर्गेश पाठक
-दस्तावेजों में खुद भाजपा पार्षदा ने जिस एनजीओ को एमसीडी की ज़मीन देने की बात लिखी है, उसके मालिक उनके ही पति हैं- दुर्गेश पाठक
- ऐसा संभव नहीं कि एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर ने इतना बड़ा फैसला लिया और बीजेपी की पार्षदा के पति को ही यह ज़मीन दे दी, इसकी जानकारी बीजेपी के अध्यक्ष को न हो- दुर्गेश पाठक
- यह एक आपराधिक गतिविधि है, भाजपा के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए- दुर्गेश पाठक
नई दिल्ली: 30 जनवरी 2022
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा एक षणयंत्र के तहत एनजीओ के माध्यम से एमसीडी की सभी ज़मीनों को बेचकर अपने नेताओं के नाम कर रही है। ‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा ने अशोक विहार के केशवपुरम जोन में एमसीडी की ज़मीन एक एनजीओ को बेच दी, जिसका मालिक भाजपा पार्षदा मंजू खंडेलवाल का पति है। दस्तावेजों में खुद भाजपा पार्षदा ने इस बात की पुष्टि की है। ऐसा संभव नहीं कि एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर ने इतना बड़ा फैसला लिया और बीजेपी की पार्षदा के पति को ही यह ज़मीन दे दी, इसकी जानकारी बीजेपी के अध्यक्ष को न हो। दुर्गेश पाठक ने इसे एक आपराधिक गतिविधि बताते हुए भाजपा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने रविवार को एक डिजिटल प्रेस वार्ता को संबोधित किया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि आज हम एमसीडी के बहुत बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा करने जा रहे हैं। आप लोगों ने देखा होगा कि पछले कई महीनों से यह माहौल बना है कि इस बार दिल्ली में बदलाव लाना है, इस बार एमसीडी में अरविंद केजरीवाल को लाना है। जिस तरह से भाजपा के नेताओं को दिल्ली की जनता एमसीडी से भगा रही है, भाजपा के सभी नेता डरे हुए हैं। इस चलते, ऐसा लगता है कि एमसीडी की ज़मीनों को बेचकर उन्हें भाजपा के नेताओं को देने का एक बड़ा षणयंत्र चल रहा है।
हमने आपको बताया कि पिछले 6-7 महीनों में भाजपा शासित एमसीडी चांदनी चौक की गांधी मैदान पार्किंग, पीतमपुरा की शिवा मार्केट पार्किंग, सदर बाज़ार की कुतुब रोड पार्किंग, नॉवल्टी सिनेमा, आज़ादपुर स्थित नानीवाला बाग, मोती नगर शॉपिंग कॉमप्लेक्स, डिलाइट सिनेमा के पास 22 दुकानें, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर के 132 प्लॉट्स, करोल बाग में 5 पार्किंग और शॉपिंग कॉमप्लेक्स, शालीमार बाग का स्कूल, एक कोचिंग सेंटर, एक हेल्थ सेंटर, आरबीटीबी अस्पताल आदि को बेचने का प्रस्ताव लेकर आई। सोचिए दिल्ली सरकार कहती है कि दिल्ली में स्कूलों की कमी है तो हमें ज़मीन दीजिए जिससे हम और स्कूल खोल पाएं लेकिन भाजपा उल्टा स्कूलों को बेचने का काम कर रही है।
हम हमेशा कहते थे कि यह जो ज़मीने बेचने का प्रस्ताव लेकर आते हैं इसमें एक मॉडल समझिएगा कि किस प्रकार से एक पूरा का पूरा सिस्टम चल रहा है। बीजेपी कहती है कि यह ज़मीनें हम देखभाल के लिए किसी एनजीओ को दे रहे हैं। इसका एक समय होता है, 100 साल का या फिर उससे भी अधिक समय जिस दौरान वह ज़मीन उस एनजीओ की निगरानी में रहेगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एनजीओ बीजेपी के नेताओं के हैं। इन्होंने एक तरीका निकाला कि इन ज़मीनों को एनजीओ के माध्यम से बेच दिया जाए और बीजेपी के नेताओं के कब्जे में कर लिया जाए। यह एक तरीके से एमसीडी को पूरी तरह से बेच खाने का इनका आखरी दांव है।
कुछ दस्तावेज पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि आज हम आपके पास एक सबूत लेकर आए हैं। यह सबूत महत्वपूर्ण हैं। इसमें साफ लिखा है कि नॉर्थ एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर ने अशोक विहार के केशवपुरम जोन में ढ़लाव की एक ज़मीन को एक एनजीओ को दे दी। उस एनजीओ का नाम ‘पंचवटी सोशल वेलफेयर सोसाइटी’ है। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है कि इस वॉर्ड की जो पार्षदा हैं उनका नाम मंजू खंडेलवाल है। यह ज़मीन जिसको दी गई वह उनके पति हैं, जिनका नाम राजेंद्र कुमार है। आपको यह समझ आ गया होगा कि पहले इन्होंने भाजपा नेता के नाम पर एक एनजीओ बनाया उसके बाद उसे यह ज़मीन दे दी गई। खुद बीजेपी की पार्षदा ने लिखा है कि यह ज़मीन इनको दे दी जाए। इसकी देखभाल वही करेंगे। उस ज़मीन पर पार्क बनाना है या जो भी बनाना है यह भी उन्हीं का निर्णय होगा।
चोरी करते वक्त चोर को अपने दिमाग का इस्तेमाल भी करना चाहिए। लेकिन जब आप बहुत ज्यादा भ्रष्टाचारी हो जाते हैं, जब आपके अंदर लालच भर जाता है, तो ऐसी ही गलतियां होती हैं कि खुद पार्षदा लिखकर दे रही हैं कि यह ज़मीन इस एनजीओ को दे दीजिए। जिसके मालिक खुद उनके पति हैं। मुझे नहीं लगता है कि इतनी बेशर्मी के साथ कहीं भी भ्रष्टाचार किया जाता होगा। आज दिल्ली की ज़मीनों पर इस प्रकार से कब्जा किया जा रहा है, आज दिल्ली की ऐतिहासिक ज़मीनों पर कब्जा कर के बीजेपी के नेता अपने नाम पर लिखवाने का काम कर रहे हैं। यह आपराधिक गतिविधि है इसपर कार्रवाई होनी चाहिए।
इसमें एक पैटर्न दिखता है। एक जगह तो हमें सबूत मिल गया लेकिन अन्य जितनी भी ज़मीनों का हमने अभी नाम बताया है उन्हें भी किसी न किसी एनजीओ को दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने एक पूरा प्लान बनाया है। इसमें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व आदेश गुप्ता भी शामिल हो सकते हैं या फिर यह सब उनके इशारे पर हो रहा होगा। हालांकि इसकी जानकारी तो उन्हें जरूर होगी। ऐसा तो नहीं हो सकता है कि एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर ने इतना बड़ा फैसला लिया और बीजेपी की पार्षदा के पति को ही यह ज़मीन दे दी, इसकी जानकारी बीजेपी के अध्यक्ष को न हो।
मुझे ऐसा लगता है कि भाजपा का पूरा शीर्ष नेतृत्व इस षणयंत्र में शामिल है। एक पैटर्न बनाया गया है कि अब 2-3 महीने ही बचे हैं, इस दौरान जितनी ज्यादा से ज्यादा ज़मीनों पर कब्जा कर सकते हैं कर लें। जितनी बेशर्मी के साथ भ्रष्टाचार कर सकते हैं कर लें। और यह दस्तावेज उसका जीता-जागता सबूत है। यह दिखाता है कि भाजपा नैतिक रूप से पूरी तरह गिर चुकी है, पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। दिल्ली वाले आने वाले चुनाव में इसका बदला लेंगे। जो आप दिल्ली वालों की ज़मीने बेच रहे हैं, दिल्ली वालों की ज़मीनों पर कब्जा किया जा रहा है, इन सभी चीजों का दिल्ली वाले आने वाले चुनाव में बदला लेंगे।