कश्मीरी पंडित हिंदुओ में सबसे स्वार्थी कौम है..
1927 में महाराजा हरिसिंह के समय इन्होंने एक कानून पास करवा लिया कि कश्मीरियों के अलावा अन्य कोई और हिंदू यहां न तो कोई प्रॉपर्टी खरीद सकता है ना ही नौकरियों में कोई जगह..मकसद साफ था कि हमारी ही मोनोपली रहे..मुसलमान लोग पढ़ते लिखते नही थे इनके मुकाबले..बेशक संख्या में ज्यादा थे..तो सीधा फायदा इनको मिलता था..नौकरियों में भी और स्कूल कॉलेजों में भी..
कश्मीरी पंडित दूर की नही सोचते थे..
जमींदारी भी इन्ही के हिस्से में ज्यादातर थी मुसलमान कौम इनके चाकरी किया करती..
47 के आजादी के बाद भूमि सुधार कानून बना तो कश्मीर में भी हलचल हुई लेकिन यहां भी कश्मीरी पंडितो ने बेइमानियां की..Land रिफॉर्म्स में रद्दोबदल करवा लिया ..
और मलाई खाते रहे..जिसका नतीजा 1989 में निकला..इनकी कारगुजारियो का खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ा जब इनको मार मार कर घाटी से निकाला वहां के मुसलमानो ने ..
वो भी पाकिस्तान की मदद से..
दूसरा बलात्कार यहां की राजनीति ने किया..चुनावी नतीजों में हेराफेरिया कर कर के..
1987 में तो हद ही कर दी..जीते हुए उम्मीदवारों को हरवा कर हारे हुओ को जितवा दिया..
जो जीते हुए थे वो हार कर बागी हो गए..उनका लोकतांत्रिक चुनावी प्रणाली से भरोसा उठ गया..और हथियार उठा लिए..गुस्सा निकला उनका कश्मीरी पंडितो पर ताकि कश्मीर को आजाद घोषित कर पाकिस्तान में मिलाया जा सके..
आज भाजपाई बड़े राष्ट्रवादी बने घूमते है वी पी सिंह की सरकार में जब कश्मीरी पंडितो का पलायन हुआ भाजपा इनकी सहयोगी थी..और उस सरकार का दावा था कि कश्मीरी पंडितो को वहां से निकाल कर फौजी अभियान चलाया जाएगा ताकि इनकी बगावत को कुचला जा सके..और दुबारा बसाया जा सके..!!
कश्मीरी पंडितो को जम्मू में कैंप लगा कर ऐसा बसाया कि आज तक उनकी घर वापसी नही हुई..
अब ज्यादातर कश्मीरी पंडित खुद ही नही जाना चाहते क्योंकि उनकी तो दोनो जगहों पर पौँ बारह थी जिनके पास पैसा था..वो भारत में कही भी जगह खरीद कर रह सकते थे लेकिन अपने यहां किसी हिंदू को बसाना नही चाहा उन्होंने.. वही टीवी पर आकर डिबेट करते है .. गरीबों की ना तब किसी ने सुनी ना आज कोई सुन रहा है..!!
वोटो के टाइम भाजपा कांग्रेस सबको कश्मीरी पंडित याद आ जाते है..बाकी हिंदुओ के वोट लेने की खातिर..!!
फिर कश्मीर का बलात्कार किया वहां के रहने वाले मुसलमानो ने..
जिस पाकिस्तान से आए कबलियाई लोगो ने 48 में कश्मीर पर हमला किया इनकी औरतों को उठा उठा कर बलात्कार किया (हिंदू और मुस्लिम दोनो) लूटपाट की..उन्ही के गुण गाने लगे..
और पाकिस्तान पाकिस्तान गाने लगे..
ये जहां बहुमत में होते है वहां इस्लामी राज चाहते है और जहां अल्पमत में होते है, वहां इनको धर्म निरपेक्ष राज चाहिए..वो भी फुल हुकूत के साथ..बिल्कुल मिर्जापुर वेब सीरीज की तरह कि अपने को चाहिए फुल इज्जत
इनको अपने साथ लिया उन्ही मुस्लिम लीडरों ने जो 87 के चुनाव में जीतते जीतते हार गया यानी हुर्रियत के लोग..
हमारी भी कमियां थी कि वहां डेवलपमेंट नाम मात्र की भी नही की.. खाऊ लीडरों को ही प्रमोट करते रहे..नाम सब जानते है..
जनता भूखी की भूखी ही रही जिहाद के नारे में कुछ नई उम्मीद दी
और देने वाला कौन ..?
पाकिस्तान
वो पाकिस्तान जो सोवियत अफगान युद्ध में अमेरिका से अरबों डालर लिए फिर इनके फौजी अफसरों ने बाहर के मुल्कों में अपनी तिजोरियां भर ली कुछ अफगान वार में पैसा भेज दिया और ज्यादा हिस्सा और हथियार कश्मीर के जिहाद में ..
कश्मीर का गुब्बारा फूटा कारगिल से जब दुनिया को पता चला कि पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर टेरेरिज्म फैला रहा है, रहा सहा विश्व जनमत भी पाकिस्तान और कश्मीर मसले से दूर हो गया..
कश्मीरी मुसलमान न घर के रहे ना घाट के..
अब इस कश्मीर पर फिल्मे बनती है
कोई लिबरल फिल्मकार एक पक्ष दिखलाता है लाइक विधु विनोद चोपड़ा तो कोई संघी विवेक अग्निहोत्री अपने पक्ष में।