धार्मिक फंडामेंटलिज्म किसी एक धर्म के लोगों तक सीमित नहीं है बल्कि वह धर्म का आवरण के रूप में इस्तेमाल करता है।बुनियादी तौर पर इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है।चूंकि ये लोग धर्म का आवरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं इसीलिए हिन्दू फंडामेंटलिज्म,इस्लामिक फंडामेंटलिज्म,क्रिश्चियन फंडामेंटलिज्म नाम से इनकी विचारधारा को सम्बोधित किया जाता है। भारत में इनमें से दो किस्म के फंडामेंटलिस्ट संगठन सक्रिय हैं ,ये हैं ,हिन्दू फंडामेंटलिस्ट और इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट।धर्म इनके लिए मुखौटा मात्र है।असल चीज है धार्मिक फंडामेंटलिज्म।धर्म के आवरण की इनको जरूरत इसलिए पढ़ती है जिससे ये अपने हिंसक कर्मों को वैध बना सकें।खासकर पुरानी मनोदशा के लोगों में अपने कुकर्मों को वैध बना सकें।धार्मिक फंडामेंटलिज्म उन लोगों को जल्दी अपील करता है जो धार्मिक नजरिए से घटनाओं को देखते हैं।फंडामेंटलिस्ट संगठन अपने हिंसक लक्ष्यों के लिए धर्म का राजनीतिक उपयोग करते हैं।
धार्मिक फंडामेंटलिज्म का लोकतांत्रिक संविधान ,धर्मनिरपेक्षता,न्यायपालिका आदि में कोई विश्वास नहीं है,वे बुनियादी तौर पर हाशिए के लोगों और औरतों के हकों और मानवाधिकारों पर हमले करते हैं। वे आधुनिकता से नफरत करते हैं और उसके विकल्प के रूप में धार्मिक मान्यताओं को थोपते हैं।उनको अन्य धर्म की मान्यताओं और विश्वासों से भी गहरी चिढ़ है,इसलिए वे अन्य धर्म को सहन नहीं कर पाते।वे अपने सामाजिक और वैचारिक आधार के विकास के लिए पुराने धार्मिक और सांस्कृतिक विचारों का जमकर प्रयोग करते हैं।इनके आधार पर समाज को नियमित और नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं,जो व्यक्ति उनके विचारों को नहीं मानता या विरोध करता है उसको हिंसक तरीकों से शांत करने या मार देने की कोशिश करते हैं।धार्मिक फंडामेंटलिस्ट बुनियादी तौरपर हिंसक होते हैं।वे अपने प्रभाव विस्तार के लिए वाचिक-कायिक हिंसा का जमकर प्रयोग करते हैं।इनकी बुनियादी समझ है कि बुनियादी मानवाधिकार तो धार्मिक फंडामेंटलिज्म के खिलाफ हैं।इसलिए हर स्तर पर इनका विरोध करो।
जगदीश्वर चतुर्वेदी…