हमें गर्व है कि हम मनीषियों की, तपस्वियों की, साधकों की पुण्य भूमी पर जन्मे हैं..!
हम उस कर्म भूमी पर जन्मे हैं जिसने अनेकता में एकता की मिसाल कायम की है..!
साधना की इस पुण्य भूमी पर तब के हमारे चिंतकों ने, विचारकों ने, विद्वतजनों ने, लिक्षवी राजाओं के राज्य में गणतांत्रिक राज्य की स्थापना की थी जब विश्व गणतंत्र के ज्ञान से अपरिचित था।
हमें गर्व है कि विश्व को गणतंत्र का पावन और प्रायोगिक दर्शन हमने दिया है। अपने गणतंत्र को गण के वास्तविक तंत्र के रूप में हम समाज और राष्ट्र के अंतिम गण तक आयाम और विस्तार देंगे इसी चाहत और अपेक्षा के साथ एक बार पुनः इस पवित्र, पाक और मनभावन मौके पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं…!
जय जवान, जय किसान,
जय संविधान
प्रदीप नापित
संस्थापक-युवाज़ संस्था